देवल संवादाता,वाराणसी,वाराणसी में मंगलवार को आवाहन अखाड़े की पेशवाई निकाली गई। पेशवाई में बैंड- बाजे के साथ रथ पर सवार साधु- संत काशी की सड़कों पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए दिखे। प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के बाद साधु- संत काशी पहुंचे हैं। इसके साथ ही अखाड़ों की पेशवाई भी शुरू हो गई है।बता दें कि पेशवाई के माध्यम से साधु- संत अपने मुख्य कार्यालय पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान अखाड़ों द्वारा किया जाता है।आवाहन अखाड़े की पेशवाई वाराणसी के कबीर चौरा से निकल कर दशाश्वमेध घाट तक पहुंची, जिसमें भारी संख्या में साधु संत सहित नागा बाबा शामिल हुए।
कबीरचौरा अखाड़े में साधु-संतों ने सुबह अपने आराध्य देव भगवान गणेश और निशान की पूजा की। खिचड़ी भोज करने के बाद पेशवाई निकाली गई।पेशवाई में बैंडबाजा-घोड़े आदि शामिल हुए। पेशवाई मैदागिन, चौक, गोदौलिया होते हुए दशाश्वमेध घाट पहुंची।घाट पर भगवान प्रथमेश और निशान की पूजा व आरती की गई। साधु-संतों का स्वागत किया गया।
गुजरात का पानी नहीं पीते हैं नागा साधु
काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्थित श्रीशंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े को छठी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। इस अखाड़े को पहले आवाहन सरकार के नाम से जाना जाता था। सत्य गिरि महाराज ने बताया कि इस अखाड़े के आराध्य प्रथम पूज्य श्रीसिद्ध गणेश जी हैं, क्योंकि किसी भी देवता का आवाहन गणेश जी से ही करते हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात में आवाहन अखाड़े के नागा साधुओं का मुगलों से युद्ध हुआ था। मुगलों ने गुजरात के वीरलगांव के एक स्थान पर नागा साधुओं को जहर देकर मार दिया था। इसलिए नागा साधु गुजरात का पानी नहीं पीते। ऐसे ही मध्यप्रदेश के छतरपुर में भी नागा साधुओं की समाधियां हैं।