कृष्ण कुमार तिवारी, ब्यूरो चीफ ,अंबेडकर नगर ,दैनिक देवल |
जनपद अंबेडकर नगर मुख्यालय पर चिकित्सा जगत में लगातार गर्भपात करने का कारनामा उजागर हुआ है जिसके खुलासे के बाद अब कई सवाल उठ रहे है। गर्भपात पर बड़ा खुलासा हुआ है जहां 5000 रुपये लेकर कोख में पल रहे बच्चे को मारने का गंदा खेल कैद हुआ खुफिया कैमरे में कैद हुआ और डॉक्टर बेफिक्र होकर कह रहा है कि अवॉर्शन का इतना पैसा लगेगा। लोगों द्वारा यह जानकारी मिली है अब तक सैंकड़ो गर्भपात कर चुका डॉक्टर एक स्टिंग ऑपरेशन में फंस गया है।इधर, उक्त महिला डॉक्टर द्वारा गर्भपात करने में लगने वाले पैसे के बताने का वीडियो सामने आने के बाद अब प्रशासन की सख्त कार्रवाई की दरकार।नियम-कायदों को दरकिनार कर जिले में संचालित अस्पतालों की लिस्ट लंबी होती जा रही है।गर्भपात को लेकर शासन की सख्ती के बाद भी जिले में खुलेआम चल रहे अवैध कार्य ने अफसरों के कान खड़े कर दिए हैं। लंबे समय तक संचालित अवैध अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की कारगुजारी भी उजागर हो रही है।मिली जानकारी के अनुसार निजी अस्पताल या नर्सिंग होम एमपीटी एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत नहीं है। वह अपने संस्थान में गर्भपात नहीं करवा सकता है। अभी गत दोनों दोनों अयोध्या मार्ग पर परिवार हॉस्पिटल (निकट लाल ब्रदर्स पेट्रोल पंप) द्वारा गर्भपात करने के लिए लगने वाले पैसे के बारे में बताते हुए वीडियो वायरल हुआ था वीडियो वायरल होने के पश्चात उक्त अस्पताल अपने साइन बोर्ड को पेंट से पुताई करवा कर ताला बंदकर फरार हो गया। इसके बारे में जब जिम्मेदार अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजकुमार जी से वार्ता की गई तो उनके द्वारा बताया गया नोटिस काट दी गई है अब यहां यह सवाल उठता है जब अस्पताल के द्वारा साइन बोर्ड पर पेट से पुताई कर ताला बंद कर दिया गया है तो वह नोटिस कौन लेगा और सीएमओ क्या कार्रवाई कर पाएंगे यह अपने आप में एक अहम सवाल है मीडिया के लोगों द्वारा दो दिन पश्चात जनपद मुख्यालय पर ही शहजादपुर कस्बे संघतीया मोहल्ले में किरन अस्पताल के नाम से संचालित महिला डॉक्टर भी गर्भपात करने के लिए महिला चिकित्सक उर्मिला पांडे द्वारा पैसे बताते हुए वीडियो खुफिया कैमरे में कैद हो गया। जबकि उक्त अस्पताल के बोर्ड पर तथा महिला डॉक्टर के विजिटिंग कार्ड पर बी ई एम एस दिल्ली की डिग्री दर्शी जा रही है अब यहां पर एक सवाल यह भी उठना है क्या यह डिग्री ओरिजिनल है या फर्जी डिग्री से कार्य किया जा रहा है यह जांच का विषय है स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जाएगी या फिर इस अस्पताल को भी मौका देकर छोड़ दिया जाएगा तथा बाद में नोटिस भेज कर विभाग इति श्री ले लेगा। कहने को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नोडल भी बनाए गए हैं आखिर किसकी छत्रछाया में अवैध अस्पताल फल फूल रहे हैं या फिर इनकी देखरेख में ऐसे अस्पताल संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए नोडलों पर भी अब उंगलियां उठनी प्रारंभ हो गई आम जनता कहना शुरू कर दी निजी स्वार्थ में लिप्त है इसलिए अवैध हॉस्पिटल जनपद मुख्यालय पर इन जिम्मेदारों की नाक के नीचे ही फल फूल रहे हैं।