दैनिक देवल, सोनभद्र। जनपद में लगातार बढ़ रही ई- रिक्शा की संख्या अब प्रशासन के लिए भी गले की फांस बना हुआ है। कम लागत की वजह से ई रिक्शा ने डीजल से चलने वाले ऑटो को लगभग पूरी तरह प्रतिस्थापित कर दिया। लेकिन जहां ई-रिक्शा एक तरफ गरीबों की कमाई का जरिया है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी बढ़ती संख्या कई परेशानियां भी खड़ी कर रही है। ई रिक्शा चालकों द्वारा यहां वहां खड़ा कर देने से जहां जाम की स्थिति बन जाती है वहीं दूसरी तरफ दुर्घटनाओं के भी आशंका बनी रहती है। कभी-कभी क्षमता से ज्यादा लोड लेने की वजह से ई रिक्शा के पलटने की भी खबरें आती रही हैं। हालांकि ई रिक्शा को भी लेकर यातायात नियम जारी किए गए हैं परंतु इसका अनुपालन समुचित तरीके से नहीं कराया जा रहा है। इस बाबत मंगलवार को एआरटीओ कार्यालय में विशेष कैंप का आयोजन किया गया। कैंप में आरटीओ प्रशासन धनवीर यादव ने कहा कि ई-रिक्शा चालकों के लिए भी लाइसेंस अनिवार्य है। जनपद में अभी तक एक भी ई-रिक्शा का लाइसेंस नहीं बना है। लाइसेंस न होने की वजह से उनके वाहन का चालान हो सकता है और वहां चीज किया जा सकता है। बताया कि लाइसेंस न होने की वजह से दुर्घटना होने पर इंश्योरेंस का लाभ भी नहीं प्राप्त होगा। उन्होंने चालकों से कहा कि एम परिवहन सारथी वेबसाइट पर जाकर लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। आरटीओ प्रवर्तन राजेश्वरी यादव ने कहा कि ई रिक्शा चालकों के लिए लाइन से लाइसेंस अनिवार्य है। शासन ने यातायात माह में ई रिक्शा चालकों को लाइसेंस बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मोटर वाहन निरीक्षक आलोक कुमार यादव ने बताया कि ई रिक्शा चालक अपने वाहनों का फिटनेस भी कर लें। बताया कि 6 नवंबर से 5 फरवरी तक एक मुश्त समाधान योजना की अंतर्गत टैक्स की पेनल्टी का शत प्रतिशत लाभ मिलेगा। इस मौके पर कई ई- रिक्शा चालू कौन है लाइसेंस हेतु आवेदन किया। इस अवसर पर यातायात प्रभारी अविनाश सिंह, वरिष्ठ लिपिक ललित नारायण त्रिपाठी, विनोद सोनकर, डीवीए अनूप सिंह, सारथी युगलेश पांडे, राजू सिंह, विजय पांडे समेत कई ई रिक्शा चालक मौजूद रहे।