देवल संवाददाता,इंदारा। जन्में मशहूर शायर व कवि स्वर्गीय आलम बलियावी की स्मृति में सोमवार की रात एक काव्य गोष्ठी का आयोजन उनके पुत्र असलम वारिद में अपने निवास पर किया। जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर सागर अदरवी एवं संचालन सलाउद्दीन सादिर ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत में आलम बलियावी के पौत्र नायाब शारिक एवं शेहाब शारिक ने अपने दादा की कुछ बेहतरीन रचनाओं को प्रस्तुत कर उनकी याद को लोगों के जेहन में ताजा कर दिया। बेहतरीन गजलों,गीतों एवं कविताओं की बहती सरिता में डुबकी लगाते श्रोताओं को मशहूर शायर नवाज़ शरीफ़ ने 'वफा का चमन प्यार का गुलिस्ताँ है,बड़ा खुशनुमा मेरा हिंदुस्तान है,सुना कर उनके दिल में देश प्रेम की भावना को जगा दिया। सलाउद्दीन सादिर ने कदम सूए मैखाना दिल में हरम है, कहाँ का सफर है कहां जा रहे हैं? सुना कर लोगों को सोचने पर विवश कर दिया। मोहम्मद शाहिद की प्रस्तुति,वक्त जब आन पड़ेगा तुम पर,जान जाओगे कि दुनिया क्या है।को सुन श्रोता तालियाँ बजाते रहे। जमील अख्तर की रचना किश्मत की यह बात है 'आलम',जिसको जो हासिल हो जाए,को भी लोगों ने खूब सराहा। सूर्यभान अंबर की रचना,गया वो जमाना हमारी खुशी का,कि गम ही सहारा हुआ जिंदगी का,सुन लोग सोचने पर मजबूर हो गए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इज़हार अख्तर व मुख्य अतिथि इश्तेयाक अहमद खाँ ने स्व. बलियावी के जीवन से वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डाला।अंत में असलम वारिद ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर कामरान सादिर,शमीम सादिर, जमील,मु.आदिल नवाज शरीफ सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।