देवल संवाददाता, गोरखपुर।एम्स ऋषिकेश से जून 2020 में गोरखपुर एम्स का कार्यकारी निदेशक बनने वाली डॉ. सुरेखा किशोर पर अपने दोनों बेटों डॉ. शिखर किशोर वर्मा और डॉ. शिवल किशोर वर्मा को अपने ही कॉलेज में जेआर पद पर नियुक्ति देने का आरोप था। बताया जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने मंत्रालय से भी अनुमति नहीं ली थी। इसके बाद बेटों ने बिना नौकरी किए ही वेतन भी ले लिया था।
एम्स की पूर्व कार्यकारी निदेशक (ईडी) प्रो. सुरेखा किशोर पर कार्रवाई तय करने के लिए विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर 29 अक्टूबर को गवर्निंग बाॅडी की बैठक बुलाई गई है। मामले में तत्कालीन डीडीए अश्वनी माहौर, तत्कालीन रजिस्ट्रार कृष्ण प्रताप सिंह, डा. शशांक शेखर और डा. आनंद मोहन दीक्षित को भी आरोपित माना गया है।इन पर भी बैठक में निर्णय लिया जाएगा। एम्स ऋषिकेश से जून 2020 में गोरखपुर एम्स का कार्यकारी निदेशक बनने वाली डॉ. सुरेखा किशोर पर अपने दोनों बेटों डॉ. शिखर किशोर वर्मा और डॉ. शिवल किशोर वर्मा को अपने ही कॉलेज में जेआर पद पर नियुक्ति देने का आरोप था। बताया जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने मंत्रालय से भी अनुमति नहीं ली थी।
इसके बाद बेटों ने बिना नौकरी किए ही वेतन भी ले लिया था। एक शिकायत पर विजिलेंस ने जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को दी थी, जिसके आधार पर जनवरी 2024 में उन्हें हटाकर एम्स पटना के प्रभारी कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल को गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक का चार्ज दिया गया। डॉ. जीके पाल भी अक्तूबर में अपने बेटे डॉ. औरव पाल को पीजी कक्षा में नियुक्ति दिलाने के आरोप में हटाए गए।