मामला वादी के पूर्वज राजा संग्राम सिंह के कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ व शिलापट से ढककर सरकारी संपत्ति के नुकसान का
आमिर, ब्यूरो, देवल, जौनपुर। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे राजा संग्राम सिंह के नेवढ़िया कोट स्थित कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ व शिलापट से ढकने के मामले में उनके पुत्र पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह ने पूर्व विधायक जफराबाद डॉक्टर हरेंद्र प्रसाद सिंह व ठेकेदार दिलीप तिवारी के खिलाफ कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। एसीजेएम एमपी/एमएलए कोर्ट ने प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश थानाध्यक्ष नेवढ़िया को दिया। एफआईआर दर्ज कर कॉपी तीन दिन में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश हुआ।
पूर्व जिला जज व राजा संग्राम सिंह जन कल्याण संस्थान नेवढ़िया कोट के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने पूर्व विधायक जफराबाद डॉक्टर हरेंद्र प्रसाद सिंह व दिलीप तिवारी ठेकेदार के खिलाफ एसीजेएम एमपी/ एमएलए कोर्ट में धारा 156(3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी वीरवर राजा संग्राम सिंह की यादगार में नेवढ़िया कोट पर उनके स्मारक का निर्माण व लोगों के हितार्थ कल्याणकारी योजनाओं व अन्य योजनाओं के लिए ट्रस्ट बनाया गया। संग्राम सिंह के पौत्र वादी के पिता हरि मूर्ति सिंह सेवानिवृत आईएएस व पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति थे। हरि मूर्ति सिंह व शेष भाइयों ने व गांव दलपतपुर के कुछ मानिंद लोगों ने मिलकर ट्रस्ट का पंजीकरण 12 अप्रैल 1994 को कराया। नेवढ़िया कोट पर एक कीर्ति स्तंभ का निर्माण किया गया। राजा संग्राम सिंह जनकल्याण संस्थान ट्रस्ट जनपद समेत पूरे देश और प्रदेश में विख्यात रहा लोग लाभान्वित होते रहे। वर्तमान में वादी संस्थान का पदेन अध्यक्ष है।ट्रस्ट सुचारू रूप से चल रही थी।
28 जनवरी 2022 को जब वादी ग्राम दलपतपुर, नेवढ़िया आया और कीर्ति स्तंभ देखने गया तो उसे पूर्व विधायक हरेंद्र प्रसाद सिंह व ठेकेदार दिलीप तिवारी ने बिना वादी की अनुमति के बेईमानी से, लाभ लेने के उद्देश्य से छल करके कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ कर छेड़छाड़ किया था और कीर्ति स्तंभ के स्वरूप को परिवर्तित कर दिया था।मूर्ति स्तंभ को ग्रेनाइट पत्थरों के शिलापट से ढक दिया था। मूल शिलालेख गायब करवा दिया। सरकारी संपत्ति का नुकसान किया। मुख्यमंत्री को गुमराह करके आरोपियों ने छलपूर्वक इस कार्य को अंजाम दिया गया। उच्च अधिकारियों को शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। पूर्व में वादी का प्रार्थना पत्र निरस्त होने पर जिला जज के समक्ष निगरानी दाखिल किया था। निगरानी में आदेश के बाद कोर्ट ने प्रथम दृष्टया गंभीर मामला पाते हुए थानाध्यक्ष को आदेश दिया कि आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर तीन दिन में कापी न्यायालय में प्रस्तुत करें। साथ ही आदेश की एक कॉपी पुलिस अधीक्षक को भेजने का आदेश हुआ।