न्यायिक मजिस्ट्रेट शैलेश कुमार सिंह ने घर में घुसकर धमकी और गाली देने के मामले में नामजद छह आरोपियों में सुनवाई के बाद रमेश सिंह काका सहित पांच को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। एक आरोपी दिनेश सिंह विचाराधी के दौरान मौत हो जाने के चलते उसके विरुद्ध मुकदमे की कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने कथन का समर्थन न करने पर वादी मुकदमा श्रीराम सिंह के विरुद्ध प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया। मामला रानीपुर थाना क्षेत्र का है।अभियोजन के अनुसार खिरिया गांव निवासी श्रीराम सिंह पुत्र रामराज सिंह की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। इसमें सरायलखंसी थाना क्षेत्र के कैथवली गांव निवासी रमेश सिंह काका, कुशमौर गांव निवासी पवन सिंह, बकवल गांव निवासी राजीव कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह, परदहां गांव निवासी दिनेश सिंह, पखईपुर गांव निवासी विनय कुमार सिंह और पिंटू सिंह तथा खिरिया गांव निवासी जगरन्नाथ सिंह को आरोपी बनाया। वादी का कथन थाकि 22 जनवरी 2008 को आरोपीगण असलहा लेकर उसके दरवाजे पर आकर गाली व धमकी दिए तथा घर में घुसकर उसके लड़के अनंत को खोजने का प्रयास किया। वादी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर बाद विवेचना आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए सहायक अभियोजन अधिकारी ने कुल तीन गवाहो को पेश किया। लेकर गवाहों ने अभियोजन के कथन का समर्थन नहीं किया। बचाव पक्ष से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अमरनाथ सिंह, शशिप्रकाश सिंह तेगा और रवि श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपियों को झूठा फंसाया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आरोपीगण रमेश सिंह, जगरन्नाथ सिंह, पवन सिंह, राजीव कुमार सिंह उर्फ रिंकू तथा विनय कुमार सिंह उर्फ पिंटू को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। आरोपी दिनेश सिंह की मौत हो जाने के चलते उसके विरुद्ध मुकदमे की कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अदालत में अपने कथन का समर्थन न करने पर वादी मुकदमा श्रीराम सिंह के विरुद्ध धारा 344 सीआरपीसी के तहत प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया।
