देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। वन प्रभाग रेणुकूट के म्योरपुर रेंज परिसर के नर्सरी में प्रदेश भर के नर्सरियों में प्रयोग असफल होने के बाद पहली बार साखू की नर्सरी तैयार करने में सफलता मिली है। जिसे लेकर वन विभाग खुद को गदगद महसूस कर रहा है। सांखू पेड़ के तेजी से घट रहे जंगल को लेकर चिंतित वन विभाग को संजीवनी मिल गई है।
वन विभाग से जूड़े सूत्रों की माने तो प्रदेश में इस समय 2586 नर्सरी है, जहां विभिन्न प्रजातियों के करोड़ों पौधे हर साल तैयार किए जाते है। लेकिन इससे पहले सांखू की नर्सरी तैयार नहीं हो पाई थी। नर्सरी इंचार्ज और वन रक्षक सर्वेश यादव ने इसके लिए गहनता से अध्ययन किया और उन्हें सफलता मिली। इसके अलावा चिरौंजी के नर्सरी और औषधीय पेड़ मेदा, हजार साल जीने वाला खिरनी की नर्सरी भी तैयार की जा रही है। रेंजर जबर सिंह ने बताया कि कई प्रयोगों के बाद पेड़ में पकने के बाद सांखू के बीज को 24 घंटे के अंदर नर्सरी में डाल देने से सफलता मिली है। अभी इसका बीज 100 में 30 फीसदी जमा है और लगभग एक हजार पौधे तैयार किए जा रहे है।
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