देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। नव सृजित विकास खण्ड कोन क्षेत्र में मनरेगा के तहत संचालित विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण की पोल एक बार फिर खुल गई। ग्राम पंचायत रामगढ़ में गत फरवरी माह में बनरमुत्ता नाले पर निर्मित जल अवरोधक (चेक डैम) भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। निर्माण के महज कुछ महीनों बाद ही यह एक तरफ से ढ़ह गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि भुगतान होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं. जिससे करोड़ों रुपये की योजना मजाक बनकर रह गई। मिली जानकारी के अनुसार जल अवरोधक का निर्माण फरवरी माह में कराया गया था और सितंबर में भुगतान किया गया, लेकिन अक्टूबर में ही यह धराशायी हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि इस वर्ष बारिश सामान्य से अधिक हुई, फिर भी अवरोधक में पानी नहीं ठहरा। इससे स्पष्ट है कि निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ और निगरानी के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत में इससे पहले भी तालाब में कोर वॉल का निर्माण कराया गया था, जो भुगतान से पहले ही गिर गया था। उस समय भी लोगों ने इसकी शिकायत की थी, मगर विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और शिकायतें आज भी फाइलों में दबकर रह गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कोन ब्लॉक क्षेत्र में मनरेगा योजनाओं में कमीशनखोरी का खेल खुलेआम चल रहा है। संबंधित अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत से घटिया निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। जांच समितियां केवल औपचारिक दौरे कर खानापूर्ति करती हैं। जिसके क्रम में प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष लक्ष्मी कुमार जायसवाल ने भी सितंबर माह में मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और डीसी मनरेगा को पत्र लिखकर कोन खंड विकास अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि डीसी मनरेगा ने उन आरोपों को निराधार बताते हुए मामले को रफा-दफा कर दिया। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि रामगढ़ पंचायत में हुए दोनों निर्माण कार्यों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी धन की बर्बादी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। इस बावत डीसी मनरेगा ने उक्त मामले की जाँच कराने का अश्वासन दिया है।
रामगढ़ ग्राम पंचायत में धराशायी हुआ जल अवरोधक, ग्रामीणों ने लगाया गंभीर आरोप
अक्टूबर 13, 2025
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