देवल संवाददाता, आजमगढ़। शिब्ली नेशनल कॉलेज, आज़मगढ़ में गांधी जयंती पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की जयंती के अवसर पर शिब्ली नेशनल कॉलेज आजमगढ़ में प्राचार्य अफसर अली की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम के संयोजक प्रो. आसिफ कमाल, प्रॉक्टर एह्तेशामुल हक, प्रोफेसर मोहम्मद खालिद, डॉ संदीप कुमार यादव, और आशुतोष महेश्वरी के द्वारा गाँधी जी के चित्र पर प्रातः 9 बजे माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन असि. प्रो. मोहम्मद उज़ैर ने गाँधी जी के विषय में महत्वपूर्ण बातों को याद दिलाते हुए किया। इतिहास विभाग के प्रोफेसर अलाउद्दीन खान ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी जी मानते थे कि राजनीति में भी सत्य और अहिंसा का पालन आवश्यक है। उनका विचार था कि हिंसा से केवल विनाश होता है जबकि अहिंसा से स्थायी शांति और न्याय स्थापित होता है। गांधी जी का मानना था कि यदि साधन पवित्र होंगे तो परिणाम भी पवित्र होंगे। वे किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हिंसा या अनैतिक साधनों का विरोध करते थे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. आसिफ कमाल ने गाँधी जी के जीवन दर्शन और उनके जीवन मूल्यों पर प्रकाश डाला। इतिहास विभाग के असि. प्रो. शहरयार ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गाँधी जी ने सत्याग्रह का प्रयोग एक बूस्टर के रूप में किया, गांधी जी का मानना था कि अन्याय, अत्याचार और असत्य के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए हिंसा नहीं, बल्कि सत्य और अहिंसा के मार्ग का सहारा लेना चाहिए। राजनीति विभाग के असि. प्रो. ज़फर आलम ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का समाज हिंसा, युद्ध और घृणा से जूझ रहा है। वर्तमान राजनीति में भ्रष्टाचार, स्वार्थ और अनैतिकता बढ़ रही है। गांधी जी का विचार था कि राजनीति का आधार नैतिकता और सेवा होनी चाहिए। समाजशात्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आशुतोष महेश्वरी ने अपने विचार को व्यक्त करते हुए कहा कि आज के समाज में साम्प्रदायिक तनाव और धार्मिक विभाजन की घटनाएँ होती रहती हैं। गांधी जी के सर्वधर्म समभाव का संदेश हमें भाईचारे और एकता की राह दिखाता है। गांधी जी मानते थे कि भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। आज भी गाँवों का समुचित विकास और विकेन्द्रीकरण हमारे देश के लिए आवश्यक है। अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद खालिद ने अपने विचार को व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी जी का संदेश है कि समस्याओं का समाधान केवल शांति, संवाद और अहिंसा से संभव है। गांधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग और आत्मनिर्भरता पर बल दिया। आज “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियान गांधी जी की सोच का ही विस्तार हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर अफसर अली ने वोट ऑफ थैंक्स देते हुए कहा कि जिस प्रकार का परिवर्तन हम समाज में लाना चाहते हैं सर्वप्रथम वैसा ही परिवर्तन हमें अपने अन्दर लाना होगा तथा खुद के अन्दर ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ट्ता की भावना होनी चाहिए। मंच संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद उजैर ने किया। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. आसिफ कमाल रहे, जबकि सहयोगी सदस्यों में डॉ. संदीप कुमार यादव, मोहम्मद उजैर और नदीम अहमद के साथ समस्त शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
