देवल संवाददाता, आजमगढ़। जिले के विकास खण्ड रानी की सराय अंतर्गत ग्रामसभा सुराई में मनरेगा योजना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जहाँ ग्राम प्रधान विनोद कुमार पर सरकारी धन की बंदरबांट और मजदूरों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय ग्रामीणों और पत्रकारों के अनुसार, बीते 15 दिनों से सुबह 7 बजे के आसपास मजदूरों की बिना किसी उपकरण या कार्य के फोटो खींची जा रही है, जिससे यह साबित होता है कि कार्यस्थल पर कोई वास्तविक श्रम नहीं हो रहा है। मौके पर पहुंचे पत्रकार ने जब स्थिति का जायजा लिया तो ग्राम प्रधान स्वयं मजदूरों की फोटो खींचते हुए पाए गए। इस दौरान फर्जी तरीके से कार्यरत मजदूर उमेश कुमार ने पत्रकार का मोबाइल फोन छीन लिया और उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दी, जिससे मामला और गंभीर हो गया। यह घटना न केवल मनरेगा योजना की गरिमा को ठेस पहुँचाती है, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी हमला है। ग्रामीणों का कहना है कि लाखों रुपये की लागत से चल रहे मनरेगा कार्य में भारी अनियमितता है और मजदूरों को वास्तविक रोजगार देने के बजाय केवल कागजी खानापूरी की जा रही है। प्रदेश की योगी सरकार जहाँ "हर घर रोजगार" और "स्वच्छ भारत मिशन" जैसे संकल्पों को लेकर प्रतिबद्ध है, वहीं सुराई ग्रामसभा में यह योजनाएं केवल दिखावे की वस्तु बनकर रह गई हैं। स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान और विकास खण्ड रानी की सराय के अधिकारी मिलकर सरकार की छवि को धूमिल करने की साजिश कर रहे हैं। ब्लॉक के जिम्मेदार कर्मचारी कभी गांव की सुध नहीं लेते, जिससे भ्रष्टाचार को खुली छूट मिल रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या जिले के आला अधिकारी इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेंगे, या फिर ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से ग्रामीणों को रोजगार और स्वच्छता के नाम पर ठगा जाता रहेगा?