ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को फलस्तीन को राष्ट्र का दर्जा दे दिया। चारों देशों के इस फैसले पर इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने नाराजगी जताई है। चारों देशों के इस फैसले को नेतन्याहू ने आतंकवाद को मान्यता देकर पुरस्कृत करने का प्रयास करार दिया है।
बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि ऐसा नहीं होने वाला है और जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फलस्तीनी राज्य नहीं होगा। नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिका से लौटने के बाद इस फैसले पर इजरायल अपना जवाब देगा।
नेतन्याहू ने और क्या-क्या कहा?
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि पिछले कई सालों से मैंने घरेलू और विदेशी दबाव के बावजूद उस आतंकवादी राज्य के निर्माण को रोका है। नेतन्याहू ने कहा कि हमने यह दृढ़ संकल्प और चतुराईपूर्ण कूटनीति के साथ किया है। हमने यहूदिया और सामरिया में यहूदियों की संख्या दोगुनी कर दी है, और हम इस रास्ते पर चलते रहेंगे।
चूंकि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की ये टिप्पणी इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि ये चारों देश देश पारंपरिक रूप से इज़राइल के सहयोगी रहे हैं। इन चारों देशों ने अब फलस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में दर्जा दे दिया है। हालांकि, माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस मुद्दे पर एक विस्तृत बहस हो सकती है।
ब्रिटिश पीएम ने क्या कहा?
गौरतलब है कि ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने 21 सितंबर को फलस्तीन को औपचारिक रूप से एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। इस फैसले पर ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि यह मान्यता दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में एक कदम है जो हमास को कोई फायदा नहीं पहुंचाता है।
वहीं, कनाडा के पीएम मार्क कार्नी का कहना है कि यह शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और हमास के अंत की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। उधर, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज ने कहा कि यह दो राष्ट्रों के बीच समाधान को गति देने के लिए आवश्यक है।