बता दें कि फूलपुर तहसील के बिहटा गांव निवासी 13 वर्षीय छात्र आदर्श की पागल सियार के काटने के बाद इलाज के दौरान सोमवार सुबह मौत हो गई। गुस्साए ग्रामीणों ने स्थानीय निजी चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए गद्दोपुर बाजार के पास दीदारगंज-अंबारी मार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया। करीब एक घंटे तक चले जाम को एसडीएम और सीओ ने समझा-बुझाकर समाप्त कराया।
जानकारी के अनुसार, आदर्श (13), पुत्र मोहन, बिहटा गांव (थाना दीदारगंज) का निवासी था। बीते 24 अगस्त को वह घर से बाहर किसी काम से निकला था, तभी रास्ते में एक पागल सियार ने उसे काट लिया। परिजन उसे तुरंत गद्दोपुर के एक निजी चिकित्सक जिलेदार यादव के पास ले गए। डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार कर परिजनों को भरोसा दिलाया कि बालक यहीं ठीक हो जाएगा और कहीं और ले जाने की जरूरत नहीं है। परिजन डॉक्टर के भरोसे पर अन्यत्र इलाज के लिए नहीं गए।
पांच दिन पहले आदर्श की तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे दोबारा उसी चिकित्सक के पास ले गए, जिन्होंने फूलपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह दी। वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां से वाराणसी भेजा गया। वाराणसी में भी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। निराश परिजन आदर्श को घर ले आए, जहां सोमवार सुबह करीब 7 बजे उसकी मौत हो गई। आदर्श की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने सुबह 9 बजे शव को गद्दोपुर बाजार ले जाकर दीदारगंज-अंबारी मार्ग जाम कर दिया। ग्रामीणों ने चिकित्सक जिलेदार यादव पर लापरवाही और झोलाछाप चिकित्सा का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। इस दौरान डॉक्टर ने अपनी दुकान बंद कर फरार हो गया। सूचना मिलते ही दीदारगंज थाना अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए फूलपुर के क्षेत्राधिकारी किरन पाल सिंह और उप जिलाधिकारी अशोक कुमार भी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने ग्रामीणों और परिजनों को समझा-बुझाकर करीब एक घंटे बाद जाम समाप्त कराया।
बता दें कि करीब एक सप्ताह पूर्व स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों द्वारा आरोप लगाया गया था कि यशलोक हास्पिटल, फूलपुर और आर्यन अस्पताल, लालगंज में दो महिलाओं की मौत का मामला सामने आया था। दोनों अस्पताल बिना पंजीकरण और अवैध डिग्री के संचालित हैं। फूलपुर में सरकारी अस्पताल के सामने अवैध ऑपरेशन थिएटर चल रहा है, जहां भ्रूण हत्या जैसे अपराध हो रहे हैं। बार-बार शिकायत के बाद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी मामले को दबाना चाह रहे हैं। दोनों मामलों की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अगर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर शीघ्र जांच कर कारवाई नहीं की गई तो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।