देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। जिलाधिकारी बीएन सिंह की सख्ती के बावजूद जिला मुख्यालय के प्रमुख शहर सोनभद्र नगर समेत जनपद के अन्य इलाकों में नियम विरूद्ध चलाए जा रहे निजी अस्पतालों में गलत इलाज-आपरेशन से मरीजों की आएदिन हो रही मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों की समय-समय पर जांच कर कार्रवाई के लिए तैनात नोडल अधिकारी डा. कीर्ति आजाद विंद पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक समाजसेवी ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करायी है। नोडल अधिकारी पर मानकों को ताक पर रखकर संचालित किए जा रहे तमाम प्राइवेट अस्पतालों को संरक्षण देने का आरोप है।
समाजसेवी कमलेश पांडेय का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डा. कीर्ति आजाद विंद के संरक्षण में तमाम निजी अस्पतालों का संचालन बेखौफ हो रहा है। यहीं कारण है कि इनके द्वारा मानकों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे निजी अस्पतालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। सीएम पोर्टल सहित उच्चाधिकारियों से बार-बार शिकायत किए जाने पर अपनी नौकरी बचाने के लिए इनके द्वारा कभी-कभार कुछ अस्पतालों की जांच कर कार्रवाई की जाती है. जो बाद में पुनः खुल जाते है और अस्पताल के अप्रशिक्षित चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी दिन-दहाडे मरीजों का दवा इलाज के साथ आपरेशन तक करने लगते है। अप्रशिक्षित चिकित्सकों के आपरेशन से अब तक जिले के तमाम निजी अस्पतालों में दर्जनों मरीजों की मौत हो चुकी है। समाजसेवी ने कहा कि मामले की यदि शासन स्तर पर किसी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच करा दी जाए तो न केवल प्राइवेट अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन में किए जा रहे खेल से पर्दाफास होगा, बल्कि इस गोरखधंधे में लिप्त सीएमओ सहित नोडल अधिकारी सहित स्वास्थ्य विभाग के कुछ चर्चित कर्मियों पर कार्रवाई की गांज गिर सकती है। नोडल अधिकारी डा विंद के संपत्ति की भी जांच की मांग की जा रही है। बतादें कि बीते 6 अगस्त को बगैर रजिस्ट्रेशन के कोन क्षेत्र में संचालित एक निजी अस्पताल में चिकित्सक के इंजेक्शन से 12 वर्षीय नाबालिग लड़के की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों द्वारा किए गए हंगामा की घटना को काफी गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी बीएन सिंह ने मामले की जांच कर कार्रवाई के लिए अधिकारियों की टीम गठित किया था। साथ ही डीएम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पूरे जनपद में संचालित प्राइवेट अस्पतालों की जांच कर कार्रवाई करने को निर्देशित किया था। डीएम के निर्देश पर हरकत में आए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने निजी अस्पतालों की जांच के लिए अभियान चलाया। इस दौरान कई अस्पतालों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन कुछ ही दिन बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। उधर लगाए जा रहे आरोपों के बावत नोडल अधिकारी डा. कीर्ति आजाद विंद से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन ये मौजूद नहीं मिले। लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।