देवल संवाददाता,आज़मगढ़। अमेरिकी बिलिनेयर उद्योगपति और माइक्रोसाफ्ट के को फाउंडर बिल गेट्स पूर्वांचल में धान की खेती कराएंगे। उनकी संस्था बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) की मदद से आजमगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां में हाइब्रिड धान की 27 किस्मों पर शोध शुरू हुआ है(दैनिक देवल)। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद की मदद से यहां धान की अलग-अलग किस्मों की नर्सरी लगाई गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पूर्वांचल के जिलों के मौसम के अनुकूल धान की स्थानीय किस्मों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। इसके बाद बेहतर प्रजाति का चयन कर धान का नया बीज पूर्वांचल के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां में विदेशी सहायता से प्राप्त परियोजना का शुभारंभ हुआ है(दैनिक देवल)। पूर्वी भारत में धान की हाइब्रिड एवं उच्च उत्पादक किस्मों का परीक्षण शुरू हुआ है। इस योजना को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमफजीएफ) से वित्तीय मदद दी जा रही है। यह परियोजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिसर (आईसीएआर) नई दिल्ली, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर) हैदराबाद से कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां को परीक्षण के लिए दी गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार यादव और डॉ. दिव्या सिंह तीन साल तक धान की 27 प्रजातियों का स्थानीय किस्मों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वी भारत में किसानों के लिए उन्नत, अधिक उत्पादन देने वाली एवं जलवायु अनुकूल धान की किस्मों की पहचान कर उनकी खेती कराना है।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) दुनिया का सबसे बड़ा निजी परोपकारी फाउंडेशन है। जिसकी स्थापना माइक्रोसाफ्ट के सह संस्थापक अमेरिका के अरबपति बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा गेट्स ने की थी(दैनिक देवल)। इसे 2000 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य में सुधार, गरीबी को कम करना, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी तक पहुंच का विस्तार करना है। पति से तलाक के बाद मिलिंडा गेट्स ने इस संस्था के सह अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने इसका सदस्य बने रहने की घोषणा की थी।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉक्टर अखिलेस यादव के अनुसार बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र में धान की 27 प्रजातियों पर परीक्षण शुरू किया गया है। इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को उन्नत धान की किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी। जिससे खाद्य सुरक्षा सुदृढ़ होगी एवं धान उत्पादन में वृद्धि होगी।