जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए तो जख्म दिया ही, साथ में कई तरह के प्रतिबंध लगाकर आतंकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। भारत ने पाकिस्तान से आने वाले माल के साथ-साथ पाकिस्तानी माल ले जाने वाले जहाजों की भी अपने बंदरगाहों पर एंट्री बैन कर दी, जिसकी वजह से इसकी शिपिंग कॉस्ट बढ़ गई और माल ढुलाई में भी देरी हो रही है।
डॉन अखबार ने रविवार को बताया कि पाकिस्तानी आयातकों ने कहा कि भारतीय प्रतिबंध के कारण शिपिंग का समय बढ़ गया है और माल ढुलाई शुल्क भी बढ़ गया है। कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष जावेद बिलवानी ने कहा, "भारत की इस कार्रवाई के कारण मुख्य जहाज पाकिस्तान नहीं आ रहे हैं, जिससे हमारे आयात में 30 से 50 दिनों की देरी हो रही है।"
बीमा लागत में भी हुआ इजाफा
उन्होंने कहा कि आयातक अब फीडर जहाजों पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे लागत बढ़ जाती है। निर्यातकों ने भारत की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद शिपिंग और बीमा लागत में भी वृद्धि की बात कही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि निर्यात पर कुल मिलाकर प्रभाव न्यूनतम है। टेक्सटाइल मेड-अप्स के निर्यातक आमिर अजीज ने कहा, "एक्सपोर्ट पर कोई खास असर नहीं पड़ा है, सिवाय बीमा लागत में वृद्धि के। शिपिंग कॉस्ट पहले ही बढ़ चुकी थी।"
भारत ने 200 प्रतिशत तक बढ़ाया आयात शुल्क
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध खराब हो गए, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान से आयातित सभी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया। पाकिस्तान और भारत के बीच औपचारिक व्यापार संबंध 2019 से ही स्थिर बने हुए हैं और द्विपक्षीय व्यापार 2018 में 2.41 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2024 में 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया है। भारत को पाकिस्तान का निर्यात 2019 में 547.5 मिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2024 में सिर्फ 4,80,000 अमरीकी डॉलर रह गया है।