देवल संवाददाता, आजमगढ़ | जनपद में बीते पांच वर्षों से आर.आई.के पद पर अपनी निष्ठापूर्वक सेवा देने वाले पवन सोनकर का आज विदाई समारोह बेहद भावुक माहौल में संपन्न हुआ। जैसे ही विदाई की घड़ी आई, समारोह में उपस्थित सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं। सरल स्वभाव, मधुर भाषा शैली और हर वर्ग के प्रति सहयोगी रवैये के लिए पहचाने जाने वाले पवन सोनकर ने अपनी सेवा अवधि में प्रशासनिक कार्यों से लेकर व्यक्तिगत व्यवहार तक ऐसा प्रभाव छोड़ा कि वे आजमगढ़ के लोगों के दिलों में घर कर गए।
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हालांकि अब उनका स्थानांतरण गाजियाबाद हो गया है, लेकिन समारोह में पवन सोनकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “आजमगढ़ मेरा पहला कार्यस्थल था, यहां जो स्नेह, सम्मान और सहयोग मिला, पद से विदाई हुई, पर दिलों से नहीं वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बन गया है। यहां के लोग इतने सहज और कोमल हृदय के हैं कि पता ही नहीं चला कब ये पांच साल बीत गए।”
उन्होंने कहा, “आजमगढ़ वासियों से मिला यह सम्मान मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा, यह मेरे जीवन का मील का पत्थर है।”
फूलों से लादे गए, स्मृति चिन्ह भेंट कर दी विदाई
समारोह के दौरान उपस्थित लोगों ने उन्हें फूलों से लाद दिया और भावुक होते हुए स्मृति चिन्ह भेंट किए। ढोल-नगाड़ों और नाच-गाने के बीच पवन सोनकर को विदाई दी गई। इस मौके पर जनपद के वरिष्ठ अधिकारी, सहयोगी कर्मचारी और बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।
समारोह में उमड़े जनसमूह ने यह साफ कर दिया कि राजस्व निरीक्षक पवन सोनकर ने केवल प्रशासनिक कार्य नहीं किया, बल्कि जनमानस से एक आत्मीय रिश्ता भी बना लिया।
ऐसे अधिकारी विरले ही होते हैं, जो कर्तव्य को कर्म और सेवा को संस्कार समझते हैं — और पवन सोनकर उन्हीं में से एक हैं।