यह जिलाधिकारी द्वारा कृषक हित की दृष्टि से अनुकरणीय प्रयास है और इसी दिशा में किसानों के बीच जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक माह पूर्व किसान खरीफ फसल गोष्ठी के माध्यम से जनपद में जो ढैंचा की बुवाई को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, कोशिश है कि देशी खेती को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा की खेती की दिशा में क्रांतिकारी कदम हो सकता है। नैसर्गिक खाद उत्पादन की यह विधि सस्ती, सर्वसुलभ, पर्यावरण अनुकूल और विभिन्न मायनों में लाभदायक है। इसलिए उन्होंने समस्त किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि इस नेक व जनहितकारी प्रयास का अनुकरण करें और किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों को मजबूत करे। उन्होंने बताया कि कि ढैंचा की खेती सामान्य तरीके से ही करते हैं। इसकी बुवाई के मात्र डेढ़ महीने के अंदर ढैंचा के पौधों की लंबाई 3 फीट हो जाती है और इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार भर जाता है। लिहाजा इसी समय ढैंचा की कटाई करके खेतों में फैला देते हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खाद उत्पादन विधि में ढैंचा की बुवाई और 45 दिन में उसे पलट देने यानी खेत की मिट्टी में उसे जोतकर मिला देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे गांवों में कम खर्च करके अच्छी फसल ली जा सकती है, क्योंकि यह विधि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए आदिकाल से उपयोग की जा रही है, यह मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की मात्रा को बढ़ाता है।
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए डीएम ने लिया ढैचा की खेती का सहारा
मई 25, 2025
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यह जिलाधिकारी द्वारा कृषक हित की दृष्टि से अनुकरणीय प्रयास है और इसी दिशा में किसानों के बीच जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक माह पूर्व किसान खरीफ फसल गोष्ठी के माध्यम से जनपद में जो ढैंचा की बुवाई को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, कोशिश है कि देशी खेती को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा की खेती की दिशा में क्रांतिकारी कदम हो सकता है। नैसर्गिक खाद उत्पादन की यह विधि सस्ती, सर्वसुलभ, पर्यावरण अनुकूल और विभिन्न मायनों में लाभदायक है। इसलिए उन्होंने समस्त किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि इस नेक व जनहितकारी प्रयास का अनुकरण करें और किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों को मजबूत करे। उन्होंने बताया कि कि ढैंचा की खेती सामान्य तरीके से ही करते हैं। इसकी बुवाई के मात्र डेढ़ महीने के अंदर ढैंचा के पौधों की लंबाई 3 फीट हो जाती है और इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार भर जाता है। लिहाजा इसी समय ढैंचा की कटाई करके खेतों में फैला देते हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खाद उत्पादन विधि में ढैंचा की बुवाई और 45 दिन में उसे पलट देने यानी खेत की मिट्टी में उसे जोतकर मिला देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे गांवों में कम खर्च करके अच्छी फसल ली जा सकती है, क्योंकि यह विधि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए आदिकाल से उपयोग की जा रही है, यह मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की मात्रा को बढ़ाता है।
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