आमिर, देवल ब्यूरो ,जौनपुर। भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया पर्व पर प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि भगवान परशुराम सादगी, त्याग, और सेवा के प्रतीक हैं। जमदग्नि ऋषि आश्रम ऐतिहासिक धरोहर का पुनर्जीवन है। भगवान परशुराम जयंती पर्व के अवसर पर, हम उनके जीवन परिचय और मूल्यों को जानने का अवसर प्राप्त करते हैं। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं और उनका जीवन एक अद्वितीय उदाहरण है जो हमें सादगी, त्याग, और सेवा के मूल्यों को सिखाता है। यह जयंती अक्षय तृतीया पर्व के रूप में भी मनाया जाता।
प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि भगवान परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। उनका नाम 'परशुराम' इसलिए रखा गया क्योंकि उन्हें भगवान शिव से एक परशु (फरसा) मिला था। भगवान परशुराम ने अपने जीवन में कई अद्वितीय कार्य किए। उन्होंने कार्तवीर्यार्जुन का वध किया। भगवान परशुराम के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण मूल्य सीखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम का जीवन सादगी और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ऐश्वर्य और भोग की कामना नहीं की। भगवान परशुराम ने हमेशा जरूरतमंद लोगों की सेवा की और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहे। भगवान परशुराम ने अपने जीवन में धर्म और न्याय की स्थापना के लिए काम किया और अधर्मियों का नाश किया। भगवान परशुराम ने अपने जीवन में धर्म और न्याय की स्थापना के लिए काम किया और अधर्मियों का नाश किया।
अक्षय तृतीया पर उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए पुण्य कार्य अक्षय रहते हैं और कभी नष्ट नहीं होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और परशुराम की पूजा-अर्चना करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान परशुराम जी के पिता श्री जौनपुर जनपद के निवासी हैं, इसके लिए हम बहुत सौभाग्यशाली हैं। इस जमैथा गांव आदि गंगा गोमती नदी के तट पर जमदग्नि ऋषि का आश्रम है जो कि सनातन धर्म संस्कृति के ऐतिहासिक स्थल बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जौनपुर में जमदग्नि ऋषि के आश्रम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे लोग इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा कर सकें। जौनपुर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है, जिसमें सनातन धर्म संस्कृति की महत्ता और जमदग्नि ऋषि के जीवन और शिक्षाओं को प्रदर्शित किया जा सके। जौनपुर में जमदग्नि ऋषि के आश्रम के ऐतिहासिक संरचनाओं का संरक्षण किया जा सकता है, जिससे उनकी ऐतिहासिक महत्ता बनी रहे।
जौनपुर में जमदग्नि ऋषि के आश्रम के पास शिक्षा और अनुसंधान केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं, जिसमें सनातन धर्म संस्कृति और इतिहास के बारे में अध्ययन और अनुसंधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि जौनपुर के स्थानीय समुदाय को जमदग्नि ऋषि के आश्रम के विकास और संरक्षण में शामिल किया जा सकता है, जिससे उन्हें अपनी संस्कृति और इतिहास के प्रति जागरूक किया जा सके। इन कदमों को उठाकर जौनपुर में जमदग्नि ऋषि के आश्रम को सनातन धर्म संस्कृति के ऐतिहासिक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो लोगों को सनातन धर्म संस्कृति की महत्ता और जमदग्नि ऋषि के जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करेगा।