2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों ने पूरी देश को दहला दिया था। इन हमलों ने 3 दिन तक देश की आर्थिक राजधानी को बंधक बना दिया था। सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मार गिराया, लेकिन कसाब जिंदा पकड़ा गया। वह इस हमले का एकमात्र जिंदा आतंकी था।
बाद में देश की न्यायिक प्रक्रिया ने कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया और 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी दे दी गई। लेकिन हमले के कई आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए एजेंसियां लगातार काम करती रहीं। तहव्वुर राणा इन्हीं में से एक है। आज उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है।
आज आपको बताएंगे 26 नवंबर 2008 से 28 नवंबर 2008 के उन 3 दिनों की कहानी, जिसे देश आज भी नहीं भूल पाया है.
26 नवंबर 2008 का दिन था। पाकिस्तान से 10 आतंकी हथियारों से लैस होकर समुद्र के रास्ते भारत की सीमा में दाखिल हुए। इन्होंने मछली पकड़ने वाली एक नाव को हाइजैक कर लिया और उसमें सवार क्रू मेंबर्स को मार डाला।
इन आतंकियों को पाकिस्तान में फलने-फूलने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ट्रेनिंग दी थी। भारत में दाखिल होने के बाद ये सभी आतंकी अलग-अलग ग्रुप में बंट गए और फिर शहर में गोलीबारी शुरू कर दी।
भीड़-भाड़ वाली जगहों को बनाया निशाना
आतंकियों का मकसद सिर्फ मुंबई ही नहीं, पूरे देशवासियों के मन में दहशत फैलाना था। उन्होंने ऐसी जगहों को टारगेट किया, जहां आम तौर पर सिक्योरिटी चेक न्यूनतम था और भीड़ अपार। आतंकियों के लिए सबसे सॉफ्ट टारगेट बना, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल। यहां आतंकियों ने पहुंचते ही गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।
मुंबई के प्रसिद्ध ताज महल पैलेस और ओबरॉय होटल को भी आतंकियों ने निशाना बनाया और कई लोगों को बंधक बना लिया। यहूदी आउटरिच सेंटर नरीमन हाउस के अलावा टूरिस्ट के पसंदीदा स्पॉट लियोपोल्ड कैफे पर आतंकियों ने हमला किया और लोगों को बंधक बनाया। आतंकियों को सीधे पाकिस्तान से निर्देश मिल रहे थे।
करीब 3 दिन तक मुंबई दहशत के साये में रही। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड सहित भारतीय सुरक्षा बलों ने आखिरकार आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया। इनमें से कसाब एकमात्र आतंकी था, जो जिंदा पकड़ा गया। हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
पाकिस्तान में तैयार हुआ प्लान
26/11 का आतंकी हमला कोई अचानक हुई घटना नहीं थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा इसके लिए लंबे वक्त से तैयारी कर रहे थे। इनकी मदद दो दोस्त कर रहे थे- डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा।
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। जबकि डेविड हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है। हेडली का नाम दाऊद सैयद गिलानी था, जिसे बदलकर वह डेविड कोलमैन हेडली बन गया था। हेडली के पास अमेरिका की नागरकिता था और इसी के दम पर उसे भारत आने का आसान एक्सेस मिल गया था।
एजेंसियों की कोशिश आई काम
राणा ने अपने इमीग्रेशन बिजनेस की आड़ में हेडली को भारत मुंबई में रेकी करने के लिए भेजा और उसे जरूरी मदद मुहैया कराई। आईएसआई के कहे मुताबिक, हेडली ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को इन्फॉर्मेशन पहु्ंचाई और फिर भारत पर हमले का प्लान तैयार किया गया।
पाकिस्तान ने भले ही मुंबई हमले में किसी तरह का हाथ होने से इंकार कर दिया हो, लेकिन दुनिया को भी पता है कि सच क्या है। भारतीय एजेंसियों के अथक प्रयास के बाद आज तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। अब बारी हेडली की है।