चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के साथ संबंधों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। चीन इसके लिए बिल्कुल तैयार है। उन्होंने कहा कि यही एकमात्र रास्ता है, जिससे दोनों देशों के हितों की पूर्ति होगी।
वांग यी ने अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि वैश्विक दक्षिण के अहम सदस्यों होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आधिपत्यवाद का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाएं।
अपने वैध हितों की रक्षा करनी चाहिए
वांग यी ने आगे कहा कि दोनों देशों को न केवल अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करनी चाहिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों को भी बनाए रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चीन और भारत हाथ मिलाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक लोकतंत्र और मजबूत वैश्विक दक्षिण की संभावना में काफी सुधार होगा।
भारत के साथ संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई
शुक्रवार को अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। लद्दाख में सीमा गतिरोध खत्म होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले हैं। जब उनसे पूछा गया कि भारत के साथ सैन्य गतिरोध खत्म होने के बाद चीन द्विपक्षीय संबंधों को कैसे देखता है?
इस पर वांग ने कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच रूस के कजान में हुई सफल बैठक के बाद पिछले वर्ष दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।
द्विपक्षीय संबंधों पर हावी न हो अन्य मतभेद
वांग यी ने कहा कि अगर सीमा या अन्य मुद्दों पर मतभेद है तो इसका असर पूरे द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ना चाहिए। दो प्राचीन सभ्यताओं के तौर पर हमारे पास सीमा मुद्दे के निष्पक्ष और उचित समाधान तक सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त समझ और क्षमता है। उन्होंने कहा कि हमें द्विपक्षीय संबंधों को कभी भी सीमा के सवाल या किसी अन्य मतभेद से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, ताकि हमारे पूरे द्विपक्षीय संबंध प्रभावित न हो।
मिलकर काम करने की जरूरत
वांग यी ने आगे कहा कि चीन का मानना है कि सबसे बड़े पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में हिस्सेदार बनना चाहिए। ड्रैगन और हाथी के बीच सहयोगात्मक साझेदारी ही दोनों पक्षों के सामने एकमात्र सही विकल्प है। एक-दूसरे को कमतर आंकने के बजाय आपस में समर्थन करना चाहिए। दोनों देशों को एक-दूसरे के खिलाफ सतर्कता बरतने की जगह साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
राजनयिक संबंधों के 75 साल
वांग यी ने बताया कि 2025 में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। चीन भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है, ताकि दोनों देशों के संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।