भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने शनिवार को आरोप लगाया कि देश में एक ऐसी कहानी गढ़ी गई है कि भारत को 'कुछ खास लोगों' और 'आंदोलन' की वजह से आजादी मिली। उन्होंने लोगों से भावी पीढि़यों को दूरदर्शी वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और विरासत को सौंपने की अपील की।
उन्होंने दावा किया कि एक राजनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र ने तीन या चार पीढि़यों के लोगों को यह विश्वास दिला दिया है कि सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल और स्वामी विवेकानंद जैसे नेता मौजूद ही नहीं थे।
वीर सावरकर पर एक किताब लिखनी पड़ी
तमिलनाडु भाजपा सचिव एसजी सूर्या द्वारा यहां एक समारोह में सावरकर के जीवन पर लिखी गई एक किताब का विमोचन करने के बाद संतोष ने कहा, “यह एक विडंबना है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को चित्रित करने के लिए वीर सावरकर पर एक किताब लिखनी पड़ी।''
संतोष ने आरोप लगाया कि सावरकर का संघर्ष, समर्पण और बलिदान कुछ लोगों को रास नहीं आया जो स्वतंत्रता संग्राम के मुद्दे पर गोलमेज सम्मेलनों और अंग्रेजों के साथ बातचीत को तरजीह दे रहे थे। उन्होंने दावा किया कि ''लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए एक तरह की कहानी गढ़ी गई कि हमें अपनी स्वतंत्रता कुछ खास लोगों और एक आंदोलन की वजह से मिली है।''
भारतीयों का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध में किया
भाजपा नेता ने कहा कि सावरकर को 27 साल तक जेल में रहना पड़ा। वह एक दूरदर्शी नेता और लेखक थे। उन्होंने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके इस कदम का विरोध इस दावे के साथ किया गया कि भारतीयों का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध में किया जाएगा। लेकिन संतोष ने कहा कि उनके रणनीतिक कदम ने भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को मजबूत बना दिया और जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की, तो सशस्त्र बलों में भारतीयों की अच्छी खासी उपस्थिति थी।