कृष्ण कुमार तिवारी, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर, दैनिक देवल |
भगवान श्री कृष्णप्रेम शांति एवं सौहार्द के प्रतीक हैं जबकि कंस अशांति क्रूरता एवं अधर्म का प्रतीक है पृथ्वी पर जब धर्म की हानि होती है भगवान के भक्तों को कष्ट होता है अत्याचार बढ़ जाता है तो भगवान कोई ना कोई स्वरूप धारण कर दुष्टों का संघार करते हुए अपने भक्तों की रक्षा करते हैं भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी इसी परिपेक्ष में वसुदेव देवकी एवं नंद यशोदा के तपस्या के फल स्वरुप पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए हुआ उक्त बातें ग्राम कादीपुर में सत्य प्रकाश मिश्रा एडवोकेट के यहां चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए अयोध्या से पधारे कथा व्यास श्याम मिश्रा ने कहीं उन्होंने कहा कि जब अंधकार अर्थात अज्ञान बढ़ जाता है तो भगवान ज्ञान का प्रकाश फैलाने हेतु प्रगट होते हैं अंधकार की रात्रि और 12:00 बजे रात्रि में श्री कृष्ण जी का प्रकट होना इसी बात का प्रतीक है उन्होंने कहा कि जब वासुदेव एवं देवकी जैसी त्याग की भावना माता-पिता में होती है तभी श्री कृष्ण जैसा पुत्र उत्पन्न होता है उन्होंने श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का बहुत ही मर्मकारी वर्णन प्रस्तुत किया जिससे श्रोतागण भाव विभोर हो गए इस अवसर पर यज्ञ पूर्ण करने में आचार्य विजय शंकर पांडे त्रिभुवन नारायण शुक्ला विश्व विजय मिश्रा एवं राजेंद्र मिश्रा का पूर्ण सहयोग रहा सत्य प्रकाश मिश्रा ने कथा व्यास एवं उपस्थित श्रोताओं का स्वागत अभिनंदन किया