देवल संवाददाता,मऊ। बापू आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल मऊ
में बी.ए.एम.एस के नवप्रवेशित छात्रों के ट्रांसीजनल क्युरीक्युलम का शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्थान के निदेशक डॉ मनीष राय ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया।मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए प्रो.(डॉ.) जी एस तोमर ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता के दृष्टिगत हमें वैश्विक परिदृश्य में अपनी बात को समझाने के लिए साक्ष्य आधारित शोध अत्यन्त आवश्यक है।यद्यपि आयुर्वेद एक टाइम टैस्टेड साइंस है । इसका प्रत्येक सिद्धांत गहन शोध एवं परीक्षण के बाद ही प्रतिष्ठापित हुआ है तथापि आज के प्रचलित वैज्ञानिक मापदंडों पर प्रमाणित कर के ही हम इसे लोक ग्राह्य बना सकेंगे। इस हेतु हमें अपने चतुर्विध प्रमाणों (आप्तोपदेश,प्रत्यक्ष,अनुमान,युक्ति) का प्रयोग करना होगा ताकि हमारे द्वारा अनुसंधानित तथ्य त्रिकाल सिद्ध एवं शाश्वत सिद्ध हो सकें।आयुर्वेद में चिकित्सक,औषधि,परिचारक एवं रोगी चिकित्सा के चार पाद बताए गए हैं।चिकित्सक को अपने विषय में दक्ष होना,विविध शास्त्रों का ज्ञान होना,प्रत्यक्ष कर्माभ्यास एवं वाह्य एवं आभ्यंतर पवित्रता होना इन चार गुणों से युक्त होना चाहिए।साथ ही साथ उसमें रोगी के साथ मित्रता,करुणा, ठीक होने वाले रोगियों के प्रति प्रीति एवं असाध्य रोगियों के प्रति उपेक्षा का भाव होना चाहिए।रोगी एवं चिकित्सक सम्बन्ध की तुलना करते हुए डॉ तोमर ने कहा कि चिकित्सक को रोगी के साथ मार्जार अर्थात् बिल्ली की तरह व्यवहार करना चाहिए।जिस प्रकार बिल्ली अपने बच्चे को मुँह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है।बच्चा पूरी तरह से निश्चिंत रहता है।इसी प्रकार रोगी अपने आपको चिकित्सक के हवाले करके निश्चिंत हो जाता है । उन्होंने आगे कहा कि विश्व में चिकित्सा की अनेक विधाएँ प्रचलित हैं।इन सबका उद्देश्य रोगी को रोग मुक्त करना है।इन सभी में कुछ अच्छाइयाँ एवं सीमाएँ भी रहती हैं । अत: हमें सभी विधाओं का सम्मान करना चाहिए तथा उन सभी चिकित्सकों को एक दूसरे का प्रतिस्पर्धी न मानकर सम्पूरक मानना चाहिए।डॉ तोमर ने नव प्रवेशित छात्रों को आयुर्वेद के वैशिष्ट्य को विस्तार से बताते हुए उन्हें लगन एवं परिश्रम के साथ अध्ययन करने हेतु प्रेरित किया।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में प्रतापगढ़ के आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डाक्टर अवनीश पाण्डेय ने नव प्रवेशित छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए बताया कि बीएएमएस के बाद छात्र के लिए चिकित्सा,शिक्षा, रिसर्च,फार्मेसी जैसे क्षेत्र मे अपार संभावनाएं हैं। इस अवसर पर के जिला पंचायत माननीय मनोज राय जी ने बताया की आयुर्वेद में बेहतर भविष्य बनाने के लिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ पहले वर्ष से ही आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को बारीकी से समझना चाहिए।कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.मनोज कुमार कौशल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।संचालन डॉ संजय श्रीवास्तव एवं सुरेश यादव ने किया ।