दैनिक देवल, सोनभद्र। विकास की असीम संभावनाओं को समेटे और संसाधनों से समृद्ध जनपद सोनभद्र अपनी दुर्दशा पर रोता नजर आ रहा है। कई पावर प्रोजेक्ट व निजी उद्योग के संचालन के बावजूद यहां के लोगों को आज भी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। निजी लाभ के लिए उद्योग धंधों का संचालन मानकों की अनदेखी कर चलाया जा रहा है। जनपद में लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण रोज बीमारियों को न्यौता दे रहा है। इस बाबत एनजीटी के निर्देश के क्रम में सीपीसीबी की तरफ से क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ के वैज्ञानिक इंजीनियर कमल कुमार और आर ए धर्मनाथ प्रजापति की मौजूदगी में टीम गठित की गई थी। इस टीम के द्वारा 6 व 7 मार्च को सोनभद्र का दौरा कर कुल 11 जगह से नमूने एकत्र किए गए थे। वहीं यूपीपीसीबी के माध्यम से मुख्य चिकित्सा अधिकारी से फेफड़ों की बीमारी और फ्लोरोसिस के संदर्भ में आंकड़े एकत्र किए गए थे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि 1 नवंबर से स्थिति बेहद खराब है। 1 नवंबर को क्यूआई इंडेक्स 248 दर्ज किया गया था जो 9 नवंबर को 299 पर जा पहुंचा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा यूपीपीसीबी को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2022 - 2024 के बीच 1692 स्वांस के रोगी चिन्हित किए गए थे। वहीं फेफड़े संबंधी बीमारी से संबंधित 2022-23 में 13 और 2023-24 में 26 मामले दर्ज किए गए। सीपीसीबी की ओर से एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि हो सकती है। बताया गया कि केवल मार्च, अप्रैल 2024 में ही 118 और 56 मामले सीओपीडी के दर्ज हुए हैं। सीएचसी के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2022-23 में दुद्धी सीएचसी में 271, सीएचसी म्योरपुर में 14 फेफड़े के रोगी चिन्हित किए गए थे। वही फ्लोरोसिस के रोगियों की संख्या 48 दर्ज की गई थी। उपरोक्त फेफड़ों के रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का कारण तो है ही उससे भी बड़ी समस्या इन रोगियों के इलाज की है। जिला मुख्यालय पर लंग्स फंक्शन टेस्ट मशीन की व्यवस्था होने के कारण रोगियों को बीएचयू जाकर टेस्ट करना पड़ता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक प्रोजेक्ट के सभी हॉस्पिटलों में लंग्स फंक्शन टेस्ट मशीन लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सिंगरौली प्रदूषण मुक्त वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि इस समय जो हालात है वह भविष्य के एक बड़े खतरे की ओर संकेत कर रहे हैं। समय रहते प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो हालत और भी बत्तर हो सकते हैं। जनपद में प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ रोगियों के इलाज के लिए संचित व्यवस्था कराए जाने की भी जरूरत है।
वायु प्रदूषण के कारण स्वांस रोगियों की संख्या में इजाफा लंग्स फंक्शन टेस्ट मशीन न होने से रोगियों को जाना पड़ता है बीएचयू
नवंबर 14, 2024
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