तहखाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को सौंपने की मांग पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से की गई थी। शैलेंद्र कुमार पाठक के वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से स्थित इमारत में तहखाना है। यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। यहां उनका परिवार 1993 तक पूजा-पाठ करता था।जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने बुधवार को वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी का तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया है। साथ ही मुकदमे की सुनवाई की दौरान तहखाने को अपनी अभिरक्षा और नियंत्रण में लेकर उसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। साथ ही मामले में पक्षकार बनने के लिए 1991 के स्वयंभू आदिविश्वेश्वर मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। मामले में अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।तहखाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को सौंपने की मांग पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से की गई थी। शैलेंद्र कुमार पाठक के वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से स्थित इमारत में तहखाना है। यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। यहां उनका परिवार 1993 तक पूजा-पाठ करता था। पूरे परिसर की बैरिकेडिंग के बाद उनके परिवार के तहखाने में जाने व धार्मिक कार्य आदि पर रोक लगा दी गई। इस कारण तहखाने में होने वाले राग-भोग आदि संस्कार भी बंद हो गए।इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी का ब्रिटिश शासनकाल में भी वहां कब्जा था और उन्होंने दिसंबर 1993 तक वहां पूजा-अर्चना की है। वादी को यह भी ज्ञात हुआ है कि तहखाने का दरवाजा हटा दिया गया है।हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्रियां वहां हैं। राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बगैर किसी विधिक अधिकार के तहखाने के भीतर दिसंबर 1993 से पूजा करने पर रोक लगा दी। व्यास परिवार से जुड़े होने के कारण वादी को वहां पूजा-पाठ, धार्मिक कार्य आदि करने का अधिकार है। आशंका है कि पं. सोमनाथ व्यास जी के तहखाने पर मस्जिद पक्ष कब्जा कर सकता है। इसलिए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में नंदी जी के सामने की बैरिकेडिंग को हटाया जाए और जिलाधिकारी या उनकी ओर से नियुक्त किसी व्यक्ति को तहखाना सौंपा जाए। साथ ही वहां पूर्व की भांति आने-जाने और पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया जाए।