वाराणसी। ज्ञानवापी में हुए ASI सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के पश्चात वादिनि को सौंपे जाने की मांग और मुस्लिम पक्ष की याचिका पर गुरुवार को होने वाली सुनवाई टल गई। इस मामले में अगली सुनवाई जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने तीन जनवरी की तारिक नियत की है। दरअसल कोर्ट अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार की वजह से कोर्ट में सुनवाई नहीं सकी। ऐसे में सुनवाई के लिए अगली तारीख नियत किया गया है। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने दोनो याचिकाओं पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 3 जनवरी को नियत किया है। वही ASI के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि ASI के तरफ से ज्ञानवापी में जो भी सर्वे का कार्य हुआ, उसकी रिपोर्ट कोर्ट में समिट कर दिया गया है। रिपोर्ट किसको देना है और किसे नहीं यह कोर्ट तय करेगा। ASI को जो कार्य कोर्ट की तरफ से दिया गया, उसकी रिपोर्ट 18 दिसंबर को जमा कर दिया गया है।हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट जमा किए जाने के पश्चात मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष ने मेल के जरिए सर्वे रिपोर्ट की मांग किया था। इससे पहले 18 दिसंबर को ASI ने इस रिपोर्ट को सील बंद पोटली में कोर्ट को सौंपा था। इस रिपोर्ट की कॉपी की डिमांड किया गया, क्योंकि उस दिन सीलबंद होने की वजह से किसी भी पक्ष को कॉपी नही दिया गया। ऐसे में दोनो पक्षों की याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार की वजह से सुनवाई नही हो सकी।ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की 5 याचिकाएं खारिज कर दी थी। इसमें 2 याचिकाएं हिंदू पक्ष के सिविल वाद की पोषणीयता यानी केस सुनने योग्य है या नहीं इस पर थीं। वहीं 3 याचिकाएं ASI सर्वे आदेश के खिलाफ थीं। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सभी 5 याचिकाओं को सुनने योग्य माना था। कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराए जाने के आदेश पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं।हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि 6 महीने में इसकी सुनवाई पूरी की जाए। कोर्ट ने 1991 में दाखिल सिविल वाद के ट्रायल को भी मंजूरी दी थी। ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला 8 दिसंबर को सुरक्षित कर लिया था।सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। इस दौरान सिविल वाद, सुनने योग्य है या नहीं, इसको लेकर भी सवाल खड़े हुए। दरअसल, मुस्लिम पक्ष की तरफ से वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता (सुनने योग्य है या नहीं) और ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे कराए जाने की मांग को चुनौती दी गई थी।