कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर । अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर नगर पालिका में सफाई का दावा करने वाले कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों का 'ईंधन' कहीं और जा रहा है—कर्मचारियों की जेबों में! खुलासा हुआ है कि इन गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम न लगाकर डीजल की बेधड़क चोरी की जा रही है। जनता के टैक्स का पैसा, जो शहर को स्वच्छ बनाने के नाम पर वसूला जाता है, वही कूड़े के ढेर में दबकर कर्मचारियों की कमाई बन रहा है। यह घोटाला न सिर्फ नगर पालिका की नाकामी उजागर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार की जड़ों को कुरेदता भी है।सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, अकबरपुर नगर पालिका की 20 से अधिक कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों में बिना जीपीएस सड़कों पर दौड़ रही है। राज्य सरकार की 'स्मार्ट सिटी' योजना के तहत सभी नगर निकायों में वाहनों पर जीपीएस अनिवार्य है, ताकि ईंधन की चोरी रोकी जा सके और रूट ट्रैकिंग सुनिश्चित हो। लेकिन यहां तो हाल यह है कि ड्राइवर और कर्मचारी 'मरम्मत के बहाने' जीपीएस को ही टालते फिर रहे हैं। एक अनाम अधिकारी ने बताया, "हर महीने इन गाड़ियों के लिए डीजल का बजट लाखों में होता है, लेकिन वास्तविक उपयोग का आधा से कम ही होता है। बाकी का तेल कैनों में भरकर बेच दिया जाता है। जीपीएस न होने से कोई मॉनिटरिंग ही नहीं होती।"यह मामला लखनऊ नगर निगम के हालिया घोटाले की याद दिला देता है, जहां ड्राइवरों ने जीपीएस को तोड़-मरोड़कर चोरी का धंधा चला रखा था। वहां एंटी-स्मॉग गाड़ियों से डीजल चुराने का वीडियो वायरल होने पर जांच हुई थी। अकबरपुर में भी स्थानीय पत्रकारों और सोशल मीडिया एक्टिविस्टों ने शिकायतें दर्ज की हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारे मोहल्ले में कूड़ा हफ्तों इकट्ठा रहता है, लेकिन गाड़ियां 'ईंधन खत्म' होने का बहाना बनाती हैं। असल में ईंधन तो बाजार में बिक रहा है!"नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे बीजेपी पार्षदों पर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता ने आरोप लगाया, "यह भाजपा शासित पालिका का 'स्वच्छ भारत' का झूठा चेहरा है। लेकिन स्थानीय स्तर पर यह वादा कितना पुराना है, यह तो समय बताएगा।अंबेडकर नगर, जो डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्मस्थान है, आज भ्रष्टाचार के दलदल में धंसता नजर आ रहा है। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां अगर ईमानदारी से न चलीं, तो शहर का सफर कैसे साफ होगा? जनता की आवाज अब प्रशासन तक पहुंचे, इसके लिए सामाजिक संगठनों ने धरना देने की चेतावनी दी है। क्या यह घोटाला खुलासे का नया अध्याय बनेगा, या फिर कागजों में दब जाएगा? इंतजार कीजिए, क्योंकि कूड़े के नीचे दबा सत्य बाहर आने को बेताब है!
