आमिर, देवल ब्यूरो ,जौनपुर। बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व डाला छठ इस समय देश का सबसे बड़ा त्योहार लगभग हो गया है जिसको लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा अब महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में भी इसकी महत्ता काफी बढ़ गयी है। यही कारण है कि इस पर्व को लेकर जहां तमाम स्वयंसेवी संगठनों के लोग आगे आ गये हैं, वहीं जिला एवं पुलिस प्रशासन भी काफी गम्भीर हो गया है।
गम्भीरता का आलम यह है कि सूबे के कैबिनेट मंत्री एवं जौनपुर के प्रभारी मंत्री अरविन्द शर्मा स्वयं जौनपुर आकर गोमती नदी के घाटों का निरीक्षण किये। इतना ही नहीं, जिला, पुलिस एवं नगर पालिका प्रशासन को सख्त निर्देश भी दिये कि किसी प्रकार की कमी या लापरवाही एकदम नहीं होनी चाहिये। उनके सख्त निर्देश का आलम यह है कि जहां घाट पर अच्छी सफाई एवं प्रकाश व्यवस्था की जा रही है, वहीं मेला सम्बन्धित अन्य सुविधाओं को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि गोमती नदी के किनारों के अलावा नदी पर बने पुलों पर किसी प्रकार का कोई होर्डिंग्स आदि नहीं लगना चाहिये, ताकि सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय निराजल रहकर गोमती नदी में खड़ी होकर पूजा—पाठ करने वाली महिलाओं को कोई दिक्कत न हो। उनके निर्देश का पालन करते हुये पालिका प्रशासन द्वारा जबर्दस्त अभियान चलाकर वहां लगे तमाम होर्डिंग्स, बैनर आदि को हटवा दिया गया।
हास्यास्पद बात यहां यह है कि जहां पालिका प्रशासन द्वारा तमाम होर्डिंग्स, बैनर आदि हटवाया गया, वहीं जनपद के तमाम वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों का काफी संख्या में होर्डिंग्स, बैनर आदि लग गये हैं जिसके चलते पूरा सद्भावना पुल पट गया है। ऐसे में सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय अर्घ्य देने वाली व्रती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
इस बाबत पूछे जाने पर पिछले 2 दिनों से चार दिवसीय अनुष्ठान के बाबत बेदी बनाकर घाट पर रहने वालों का कहना है कि पुल पर लगाये गये होर्डिंग्स, बैनर आदि से सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय अर्घ्य देने में बहुत दिक्कत होगी। दुनिया जानती है कि भगवान भाष्कर का सूर्यास्त पश्चिम की तरफ होता है जिसके चलते शाही पुल पर लगने वाले होर्डिंग्स, बैनर आदि से हनुमान घाट, गोपी घाट तो सद्भावना पुल पर लगने वाले होर्डिंग्स, बैनर आदि से केरारवीर घाट से 27 अक्टूबर दिन सोमवार की शाम को अर्घ्य देने वाली महिलाओं को दिक्कत होगी।
इसी तरह 28 अक्टूबर दिन मंगलवार की सुबह सूर्यादय के समय उपरोक्त दोनों पुल के बगल में स्थित विसर्जन घाट, भामा शाह घाट, गूलर घाट से अर्घ्य देकर 4 दिवसीय अनुष्ठान का समापन करने वाली व्रती महिलाओं को काफी दिक्कत होगी। बता दें कि इस समय भगवान भाष्कर के सूर्यास्त का समय लगभग 5.15 बजे से 5.30 बजे तक है। इसी तरह सूर्योदय का समय 6 बजे से 6.15 बजे तक अनुमानित किया जा रहा है लेकिन पुलों पर पटे होर्डिंग्स, बैनर आदि के चलते 36 घण्टे तक निराजल व्रत रहने वाली माताओं को आधे से पौने घण्टे तक और पानी में खड़ा होना पड़ेगा, क्योंकि जब तक वह सूर्यदेव को नहीं देखेंगी तब तक अर्घ्य नहीं देंगी। जब तक अर्घ्य नहीं देंगी, तब तक वह नदी से बाहर नहीं निकलेंगी। ऐसे में उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा जिसकी ओर शासन एवं प्रशासन का ध्यान अवश्य जाना चाहिये।
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