04 अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर किया गया गिरफ्तार
दिनांक 10.10.2025 को वादी मुकदमा श्री आदित्य कुमार, अधीक्षक, जिला कारागार आजमगढ़ द्वारा थाना कोतवाली पर लिखित तहरीर दी गयी कि कारागार के *सरकारी खाते से धोखाधड़ी कर 52,85,000 रूपये की निकासी* की गई है।
तहरीर के अनुसार, दिनांक 09.10.2025 को वरिष्ठ सहायक/प्रभारी लेखा मुशीर अहमद से बीएचयू वाराणसी में उपचार हेतु भुगतान की गई राशि में से शेष धनराशि के वापस न आने के संबंध में जानकारी मांगी गई तो वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद ने इसके सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है बताया गया, इस पर जब कैनरा बैंक (थाना कोतवाली) से खाता विवरण प्राप्त कर जांच की गई, तो यह पाया गया कि बंदी रामजीत यादव उर्फ संजय पुत्र रामाश्रय यादव के खाते में ₹2,60,000 (दो लाख साठ हजार रुपए) ट्रांसफर किए गए हैं।
जांच में यह भी पाया गया कि उक्त बंदी रामजीत यादव (मु0अ0सं0– 420/2011, धारा 498ए, 304बी भादवि व ¾ डीपी एक्ट, थाना बिलरियागंज) दोषसिद्ध बन्दी था जो दिनांक 20.05.2024 को सजा काटकर रिहा हुआ था, तथा एक अन्य बंदी शिवशंकर उर्फ पुत्र लालजी यादव (मु0अ0सं0–126/17, धारा 302/323/149 भादवि, थाना रानी की सराय) को कारागार लेखा कार्यालय में वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के राइटर के रूप में लगाया गया था।
कार्यालय में कार्य करने के दौरान दोनों बंदियों द्वारा वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद व चौकीदार अवधेश कुमार पाण्डेय के सहयोग से लेखा कार्यालय से जेल अधीक्षक के सरकारी खाते के चेकबुक को निकालकर चेकबुक पर जेल अधीक्षक कारागार आजमगढ़ का फर्जी हस्ताक्षर बनाकर अवैध रूप से धनराशि को रामजीत यादव द्वारा अपने खाते में ट्रांसफर करायी जाती थी। कारागार के सभी खातों की पासबुक व चेकबुक की अभिरक्षा वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के पास थी तथा बैंक संबंधी कार्य चौकीदार अवधेश कुमार पाण्डेय द्वारा संपन्न किया जाता था।
इस पूरे प्रकरण में प्रथम दृष्टया मुशीर अहमद (वरिष्ठ सहायक/प्रभारी लेखा), अवधेश कुमार पाण्डेय (चौकीदार), रामजीत यादव उर्फ संजय एवं शिवशंकर उर्फ पुत्र लालजी यादव की संलिप्तता पाई गई।
इस संबंध में *थाना कोतवाली पर मु0अ0सं0–516/2025, धारा 318(4), 61(2), 316(5) भारतीय न्याय संहिता (BNS)* में अभियोग पंजीकृत कर चारों अभियुक्तों को पुलिस हिरासत में लेकर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।
विवेचना के दौरान मुकदमा उपरोक्त में धारा 338,336(3) बीएनएस का भी होना पाया गया। दिनांक- 11.10.2025 को व0उ0नि0 दल प्रताप सिंह मय हमराह द्वारा मुकदमा उपरोक्त से सम्बन्धित अभियुक्त 1.रामजित यादव पुत्र रामाश्रय यादव ग्राम जमुआ सागर थाना बिलरियागंज जनपद आजमगढ़ उम्र करीब 33 वर्ष, 2.शिव शंकर यादव पुत्र लालजीत यादव ग्राम चकमेउवाँ थाना रानी की सराय जनपद आजमगढ़ उम्र करीब 27 वर्ष, 3.मुशीर अहमद पुत्र स्व समीर अहमद ग्राम कनौजा खुर्दा थाना फुलपुर जनपद प्रयागराज हाल पता जिला कारागार जनपद आजमगढ़ उम्र करीब 45 वर्ष , 4.अवधेश कुमार पाण्डे पुत्र स्व जुगुल किशोर पाण्डे ग्राम सहतवार थाना सहतवार जनपद बलिया हाल पता जिला कारागार आजमगढ़ उम्र करीब 50 वर्ष को थाना कोतवाली परिसर से समय 23.40 बजे नियमानुसार पुलिस हिरासत में लिया गया।
अभियुक्त रामजीत यादव के कब्जे से (गबन के रूपयें से खरीदी गयी) एक मोटर साईकिल बुलेट व एक अदद मोबाइल ओपो व बरामद मोबाइल से बैंक चेक की फोटो व बैंक स्टेटमेंट तथा एक अदद मोहर वरिष्ठ अधीक्षक मण्डल जिला कारागार आजमगढ के नाम का बरामद किया गया। गिरफ्तार अभियुक्त रामजीत यादव ने दिनांक- 20.01.2025 को अपनी बहन की शादी में गबन के 25 लाख रूपयें खर्च किये तथा बुलेट मोटरसाइकिल 03 लाख 75 हजार रूपयें की खरीदा व 10 लाख रूपयें जो मुकदमें में फंसने के बाद लोगो से कर्ज लिया था उसको चुकता* किया। रामजीत यादव के यूनियन बैंक के खाते में* शेष 23 हजार रूपयें को होल्ड कराया* गया है तथा इसके परिवारजनों के अकाउन्ट डिटेल को चेक कर होल्ड कराने की प्रक्रिया जारी है।
अभियुक्त मुशीर अहमद को गबन के 07 लाख रूपयें प्राप्त हुए जो उसने धीरे-धीरे अपने व्यक्तिगत व घरेलु उपयोग में खर्च कर दिया।*
अभियुक्त शिवशंकर उर्फ लालजी यादव ने अपने गबन से प्राप्त 05 लाख रूपयें को अपने निजी ऐशो आराम और घरेलु उपयोग में खर्च किया। अभियुक्त अवधेश कुमार पाण्डेय (चौकीदार) को गबन के 1.5 लाख रूपयें प्राप्त हुए, जिसने अपने व्यक्तिगत व घरेलु उपयोग में खर्च कर दिया। गिरफ्तार अभियुक्त ने बताया कि मैं और मेरे साथी शिव शंकर यादव उर्फ गोरख यादव व मुशीर अहमद व अवधेश कुमार पाण्डे मिलकर एक राय होकर एक दुसरे के सहयोग से जिला कारागार आजमगढ़ से ब्लैंक चेक निकालकर लाते थे और वरिष्ठ अधीक्षक मण्डल जिला कारागार की मुहर लगाकर वरिष्ठ अधीक्षक मण्डल जिला कारागार का फर्जी हस्ताक्षर बना कर चेक को रामजीत अपने एकाउन्ट में लगाकर पैसा निकालते और पैसो को बांटकर अनुचित लाभ प्राप्त करते थे।