कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।न्याय व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। भीटी तहसील के अंतर्गत मिश्रौली गांव की निवासी पिंकी मिश्रा और उनका पूरा परिवार आज हताशा के आंसुओं में डूबा हुआ है। दबंगों द्वारा उनकी आबादी सुधा भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे से तंग आकर पिंकी ने खुलेआम आत्महत्या की धमकी दे दी है। "अब न्याय नहीं मिला तो हम सब मर जाएंगे!" - यह चीख न सिर्फ पिंकी की है, बल्कि पूरे परिवार की बेबसी की कहानी बयां करती है। क्या प्रशासन इस मानवीय संकट को रोक पाएगा, या यह घटना एक और काला अध्याय बन जाएगी? क्या है पूरा मामला? दर्द भरी दास्तानपिंकी मिश्रा, एक साधारण ग्रामीण महिला, वर्षों से अपनी पैतृक आबादी सुधा भूमि की रक्षा के लिए दर-दर भटक रही हैं। विपक्षी दबंगों ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा जमा लिया है, और कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे के बावजूद अवैध निर्माण जारी है। सबसे चौंकाने वाली बात जितनी भी कृषि योग्य भूमि है, उस पर भीटी एसडीएम द्वारा धारा 146 सीआरपीसी की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन आबादी वाली जमीन पर कब्जा हटाने का नामोनिशान नहीं! पिंकी बताती हैं,मैंने हर दफ्तर के चक्कर लगाए लेकर डीएम कार्यालय तक। लेकिन कहीं न्याय नहीं मिला। विपक्षी अब खुलकर जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। जबकि मेरे पति रोजी रोटी के चक्कर में बाहर नौकरी करते हैं मैं अपने सास ससुर और बच्चों के साथ घर पर रहती हूं अब तो पूरा परिवार ही आत्महत्या करने को मजबूर हो गया है। क्या हमारा जीवन इतना सस्ता है?" यह सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पिंकी का परिवार न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर है, बल्कि लगातार मिल रही धमकियों से मानसिक रूप से टूट चुका है। प्रशासन की लापरवाहीः कार्रवाई हुई, लेकिन फेल ! सूत्रों के अनुसार, भीटी तहसील में धारा 146 के तहत संपत्ति विवाद सुलझाने की कार्रवाई की गई थी, जो कृषि भूमि पर सफल रही। लेकिन आबादी सुधा भूमि पर कोर्ट का फैसला लंबित होने के बावजूद दबंग बेधड़क कब्जा बढ़ा रहे हैं। क्या यह प्रशासनिक नाकामी का नंगा चेहरा है? स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रभावशाली विपक्षी गुटों के दबाव में अधिकारी हाथ खींच लेते हैं। डीएम अंबेडकर नगर और एसएसपी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग तेज हो गई है। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "ऐसे मामले यहां आम हैं, लेकिन आत्महत्या की धमकी ने सबको हिला दिया।
यूपी में न्याय का मतलब क्या है? गरीब महिला की चीख सुनो!" पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन जिले में तनाव बढ़ता जा रहा है। क्या होगा अगला कदम ? पिंकी का परिवार अब अंतिम फैसला लेने की कगार पर है। अगर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो यह घटना पूरे उप में सनसनीखेज साबित हो सकती है।पाठकों से अपील इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं! क्या आप मानते हैं कि न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए?