जानकारों का कहना है कि माता रानी के 7 हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। 8वें हाथ में सभी सिद्धियों एवं निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है तथा इन्हें कुम्हड़ा की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़ा को कुष्मांड कहते हैं, इसलिए इस देवी को कुष्मांडा कहा जाता है। प्रातःकाल मन्दिर के कपाट खुलने के पश्चात माता रानी का भव्य श्रृंगार करके मंदिर के पुजारी चंद्रदेव पंडा ने आरती पूजन किया। इसके बाद भक्तों की लंबी कतार माता रानी के दर्शन—पूजन के लिये लगी थी। कतार में खड़े होने दर्शनार्थी दर्शन—पूजन करते नज़र आये। वहीं हवन—पूजन के साथ माता रानी के जयकारों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। माता रानी के दर्शन पूजन करने के पश्चात भक्तजन पवित्र कुण्ड के बगल में स्थित बाबा काल भैरवनाथ एवं मां काली मंदिर में दर्शन पूजन किये।