चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित एक रक्षा संगोष्ठी के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि सेना को शस्त्र (युद्ध) और शास्त्र (ज्ञान) दोनों सीखना आवश्यक है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की थी। भारतीय सेना ने 7 मई की रात गुलाम कश्मीर और पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया था। सेना के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे।
आज का युद्ध केवल बंदूक और टैंक तक सीमित नहीं: सीडीएस
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने आधुनिक युद्ध की बदलती रणनीतियों पर भी अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि आज की लड़ाइयां पारंपरिक सीमाओं में नहीं सिमटी है। आज के समय में युद्ध पारदर्शी, तीव्र, बहु क्षेत्रीय और तकनीकी रूप से बेहद जटिल हो गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज का युद्ध केवल बंदूक और टेंक तक सीमित नहीं रह गया है।
सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आज के दौर में एक योद्धा को सामरिक, परिचालन और रणनीतिक स्तरों पर एक साथ दक्ष होना होगा। उन्हें थल, जल, वायु के साथ-साथ साइबर और कॉग्निटिव वारफेयर जैसे नए युद्ध क्षेत्रों में भी सक्षम होना पड़ेगा।
सीडीएस ने कन्वर्जेंस वॉरफेयर का किया जिक्र
जनरल चौहान ने कन्वर्जेंस वॉरफेयर शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में काइनेटिक और नॉन काइनेटिक (पारंपरिक और डिजिटल) युद्ध एक-दूसरे से घुलमिल रहे हैं। पहली और दूसरी पीढ़ी के युद्ध आज तीसरी पीढ़ी के साइबर और AI आधारित युद्ध से सम्मिलित हो चुके हैं।
जनरल चौहान ने भविष्य में युद्ध के स्वरूप का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे 'हाइब्रिड वॉरियर' की जरूरत होगी जो बॉर्डर पर लड़ सके, रेगिस्तान में रणनीति बना सके, शहरों में काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन चला सके, ड्रोन को निष्क्रिय कर सके, साइबर हमलों का जवाब दे सके।