भारत और अमेरिका के बीच कई महीनों से ट्रेड डील पर बातचीत चल रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही ये फाइनल हो सकती है। समझौते से पहले विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार को घेरने पर लगी है। अब किसान नेता राकेश टिकैत ने भी उसपर सवाल उठाए हैं।
क्या बोले राकेश टिकैत?
टिकैत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशों पर परस्पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसमें भारत भी शामिल है। इसे टाला गया, लेकिन अब इस घोषणा की अवधि 9 जुलाई को खत्म हो रही है। अब ट्रंप फिर नई घोषणा कर सकते हैं।
टिकैत ने कहा कि दोनों देशों में हो रही समझौता वार्ता अब अंतिम दौर में है, लेकिन मैं चाहता हूं कि इस समझौते में कृषि और डेयरी क्षेत्र को बाहर रखा जाए ।
ऐसे तो किसान मजदूर बन जाएगा
राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि और डेयरी क्षेत्र को बाहर रखा जाए, क्योंकि यह ग्रामीण भारत पर सीधा प्रहार होगा। इसके लागू होने से पहले से घाटे की खेती कर रहा देश का किसान अपने ही खेत में मजदूर बन जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि अमेरिका भारत पर लगातार कृषि और डेयरी क्षेत्र में बाजार खोलने के लिए दबाव बना रहा है। अगर यह सम्भव होता है तो करोड़ों किसानों और छोटे उत्पादकों के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा।
पीएम मोदी से मांग
राकेश टिकैत ने कहा कि अमेरिका से कोई भी कृषि क्षेत्र पर समझौता आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य पर सीधा प्रहार होगा, तो यह न किया जाए।
भारतीय किसानों और पशुपालकों से परामर्श किए बिना कोई भी अंतरराष्ट्रीय समझौता न हो।
किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी
टिकैत ने कहा कि टैक्स कम करने के लिए ट्रंप भारत के कृषि क्षेत्र में घुसना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का कृषि और डेयरी क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह ग्रामीण समाज के जीवन का आधार है। अमेरिका जैसी पूंजीवाद और बड़े कारपोरेट आधारित कृषि व्यवस्था के लिए भारतीय बाजारों को खोला गया तो देश का किसान बडी कारपोरेट कम्पनियों के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो जाएगा।