आमिर, देवल ब्यूरो ,जौनपुर। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां पूरी ईमानदारी एवं जिम्मेदारी से प्रदेश को भ्रष्टाचार एवं वसूली मुक्त बनाने में लगी है, वहीं उनके ही मातहत उनके दावे को खोखला साबित करने पर तुले हैं। ऐसे में एक विभागीय राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) है जो जौनपुर—शाहगंज मार्ग पर सिद्दीकपुर में संचालित है। वर्ष 1962 में स्थापित इस संस्थान में लाखों के हुये घोटाले को लेकर चर्चाओं का बाजार अभी समाप्त नहीं हुआ कि प्रधानाचार्य द्वारा जमकर वसूली का खेल खेला और खेलाया जा रहा है। वर्तमान में चल रही परीक्षा के बाबत प्रैक्टिकल एवं सीबीटी परीक्षा पास कराने के नाम पर अलग—अलग रेट तय है जो बच्चों से लिया भी जा रहा है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो उक्त संस्थान के प्रधानाचार्य मनीष कुमार पाल हैं जो गोरखपुर के रहने वाले बताये जा रहे हैं। जब से इनका आगमन इस संस्थान में हुआ है तब से घोटालों एवं परीक्षा पास कराने के नाम पर वसूली का खेल काफी तेज हो गया है जिसमें इनके अलावा अन्य भी कर्मचारी एवं शिक्षक संलिप्त बताये जा रहे हैं। जनचर्चा है कि प्रधानाचार्य द्वारा आईटीआई परीक्षा के दौरान प्रैक्टिकल के नाम पर प्राइवेट आईटीआई संस्थानों से प्रति छात्र 250 से 300 की वसूली किया जाता है तथा लिखित परीक्षा के लिये 1500 से 2000 प्रति छात्र तय है। मालूम हो कि प्रतिवर्ष आईटीआई की वार्षिक परीक्षा में लगभग 20 से 21 हजार बच्चे सम्मिलित होते हैं। प्रधानाचार्य की अपनी पूरी टीम है जिसका उपयोग वे सीबीटी परीक्षा में करते हैं। 2016 बैच के अनुदेशकों द्वारा ही परीक्षा एवं वसूली का कार्य सम्पन्न करवाया जाता है। टीम में फोरमैन, अनुदेशक सहित आधा दर्जन से अधिक विभागीय लोग भी शामिल हैं।बता दें कि राजकीय प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थान शिक्षा एवं प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है जिसके छात्र—छात्राएं देश के विकास की नींव कहे जाते हैं।प्रधानाचार्य मनीष पाल द्वारा एक ऐसा बड़ा खेल खेला गया जो निश्चित रूप से जांच का विषय बन चुका है। बताया गया कि राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में लिपिक संवर्ग कर्मचारियों का स्थानान्तरण सूची 14 जून 2025 को निदेशक की संस्तुति पर सूची जारी की गयी परन्तु प्रधानाचार्य द्वारा एक ऐसी भ्रान्तियां फैलाते हुये समाचार पत्रों तक विज्ञप्ति जारी करके छपवाया गया कि सुनील प्रजापति नामक कर्मचारी का स्थानान्तरण जौनपुर के एक विधायक की शिकायत करने पर किया गया है परन्तु कारण नहीं बतायेंगे? यह स्पष्ट है कि अपने गले का फांस सुनील के गले में डालकर उन्हें जल्द से जल्द जौनपुर से हटाने का प्रयास ही रहा है। स्थानान्तरण सूची का अवलोकन किया जाय तो उसमें कुल 18 कर्मचारियों के स्थानान्तरण किये गये हैं जिसमें 7 लोग स्वयं के अनुरोध तथा बाकी का जनहित में होने वाले स्थानान्तरण के रूप में है।
जौनपुर में लगभग 18 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चलाये जा रहे हैं जिनसे एक अच्छी—खासी आय होती है। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा बच्चों से धनउगाही का मामला कई बार प्रकाश में आया है परन्तु प्रधानाचार्य द्वारा उच्चाधिकारियों से मिलकर दबा दिया जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार के राजस्व को चूना लगाने के साथ बच्चों के भविष्य को भी अंधेरे कुएं में धकेला जा रहा है।
राजकीय औद्योगिक संस्थान में वही कहावत चरितार्थ होती दिख रही है कि 'वर मरे चाहे कन्या, दक्षिणा से काम।' प्रधानाचार्य के निर्देशन एवं मार्गदर्शन पर बच्चों से मांगे गये धन न देने की स्थिति में कई बच्चों को परीक्षा से वंचित किया गया है। प्रयोगात्मक एवं सीबीटी परीक्षा में अच्छी—खासी धनउगाही की जाती है। प्रत्येक बच्चे से 2000 से 2500 तक लिया जाता है। यदि इसका आकलन किया जाय तो यह सुविधा शुल्क के रूप में करोड़ों का खेल प्रधानाचार्य की देख—रेख में खेला जा रहा है जिससे बच्चों के साथ सरकार को भी धता बताते हुये प्रधानाचार्य एकक्षत्र राज्य स्थापित कर चुके हैं।