कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रज्ञा प्रवाह प्रचार आयाम के प्रान्त संयोजक प्रो. मनोज मिश्र ने किया। इस सत्र के मुख्य वक्ता ईशान जोशी अखिल भारतीय संयोजक (प्रज्ञा प्रवाह युवा आयाम) रहे। उन्होंने कहा, "युवा वर्ग स्वाध्याय, संस्कार एवं संवाद के माध्यम से देश के वैचारिक उत्थान में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।" सत्र के दूसरे वक्ता प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने "सोशल मीडिया का उपयोग, युवाओं के संदर्भ में" विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि “यदि युवा सोशल मीडिया को सही दिशा में प्रयोग करें तो यह वैचारिक उन्नयन का सशक्त माध्यम बन सकता है।” प्रथम सत्र का संचालन युवा आयाम प्रान्त सह संयोजक शनि शर्मा भट्ट ने किया।
द्वितीय सत्र में ‘भारतीय शोध दृष्टि’ और ‘संस्कृतिनिष्ठ राष्ट्र की संकल्पना’ जैसे विषयों पर संवाद हुआ। सत्र की अध्यक्षता युवा वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार एवं संचालन अर्चना सिंह ने किया। द्वितीय सत्र के वक्ता प्रो. अविनाश पाथर्डिकर और प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने भारतीय ज्ञान परंपरा के शोध दृष्टिकोण एवं सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “राष्ट्र की आत्मा से जुड़े शोध ही भारत को दिशा प्रदान कर सकते हैं।”
तृतीय सत्र की अध्यक्षता संतोष सिंह (मंडल संयोजक प्रज्ञा प्रवाह विंध्यवासिनी मंडल) ने की। इस सत्र के मुख्य वक्ता भगवती प्रसाद राघव (पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक प्रज्ञा प्रवाह) रहे। उन्होंने कहा, “युवा आयाम संगठन की ऊर्जा हैं और अभ्यास वर्गों के माध्यम से ही विचारों को कार्य में परिणत किया जा सकता है। उन्होंने युवा आयाम को उनके जिम्मेदारियों से परिचित कराया और उन्हें उदेश्य की प्राप्ति के लिए अध्ययन केंद्र, पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम एवं शोध केंद्र जैसे कार्यों को अनवरत रूप से करते रहने का सुझाव दिया।”
कार्यक्रम के समापन उद्बोधन में प्रज्ञा प्रवाह की केंद्रीय टोली के सदस्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “युवाओं को अध्ययन के माध्यम से अपने ‘स्व’ का बोध करना चाहिए। जब स्व का जागरण होता है तभी राष्ट्र का जागरण संभव है। भारत की आत्मा को समझकर ही हम सही दिशा में कार्य कर सकते हैं।” इस सत्र का संचालन अनुरुद्ध त्रिपाठी जी ने किया।
कार्यक्रम में वक्ताओं का परिचय डॉ. कीर्ति सिंह, मंडल सह संयोजक (प्रज्ञा प्रवाह विंध्यवासिनी मंडल) ने दिया एवं स्वागत-सम्मान की भूमिका संतोष त्रिपाठी (प्रांत सह संयोजक प्रज्ञा प्रवाह काशी प्रांत) ने निभाई। धन्यवाद ज्ञापन प्रांत समन्वयक डॉ. शांतनु सौरभ ने प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रज्ञा प्रवाह युवा आयाम प्रान्त सह संयोजक शनि शर्मा भट्ट ने कहा कि प्रज्ञा प्रवाह के वैचारिक आंदोलन को आगे बढ़ाने एवं उदेश्य की प्राप्ति के लिए युवाओं के मार्गदर्शन हेतु इस तरह के प्रांतीय युवा अभ्यास वर्ग का आयोजन प्रत्येक वर्ष होता रहेगा।
इस अवसर पर मड़ियाहूं पीजी कालेज के प्राचार्य प्रो एसके पाठक, मनोज तिवारी, डॉ विशाल सिंह, डॉ नितेश जायसवाल, डॉ प्रदीप यादव, डॉ मनीष सिंह, डॉ अमितेश सिंह, डॉ अंजनी मिश्र, शिवांश त्रिपाठी समेत काशी प्रान्त के विभिन्न जिलों से सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी सहित तमाम अध्ययनरत युवा उपस्थित रहे।