धीरज, देवल संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, आज़मगढ़ ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री का यह कहना सर्वथा उचित है कि सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली विभाग एक जन सेवा है दुकान नहीं। संघर्ष समिति ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली एक जन सेवा है तो इसका निजीकरण कर इसे दुकान क्यों बनाया जा रहा है ? निजीकरण और उत्पीड़न के विरोध में आज लगातार 239 वें दिन बिजली कर्मियों ने आज़मगढ़ में विरोध प्रदर्शन जारी रखा। वेतन रोके जाने के विरोध में बिजली कर्मियों ने बड़ी संख्या में आज आज़मगढ़ के मुख्य अभियंता कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति आज़मगढ़ के पदाधिकारियों ने आज यहां जारी बयान में कहा कि ऊर्जा मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा का यह बयान सर्वथा उचित ही है कि सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली एक जन सेवा है, दुकान नहीं। संघर्ष समिति ने इस बयान के संदर्भ में ऊर्जा मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा से अपील की है कि वह अपने ही वक्तव्य के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को जनसेवा का दायित्व निर्वहन करने हेतु सार्वजनिक क्षेत्र क्षेत्र में बने रहने दें और निजीकरण का निर्णय निरस्त करने का आदेश दें।
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली जहां एक ओर सार्वजनिक क्षेत्र के लिए जन सेवा है वहीं बिजली निजी घरानों के लिए एक व्यापार है। उदाहरण देते हुए संघर्ष समिति ने बताया कि उत्तर प्रदेश में आगरा में टोरेंट पावर कंपनी काम कर रही है और टोरेंट पावर कंपनी 2 किलोवाट का कनेक्शन देने के लिए 09 लाख रुपए तक तक वसूल करती है। उप्र में ही बिजली का सबसे पहले निजीकरण ग्रेटर नोएडा में किया गया था। जहां एक ओर सार्वजनिक क्षेत्र में विद्युत वितरण निगम किसानों को मुफ्त बिजली दे रहे हैं वहीं ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं देती।
संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग की रिपोर्ट में लिखा गया है कि ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं की लोड शेडिंग अधिक समय करती है क्योंकि यह घाटे वाले क्षेत्र है। इसके विपरीत निजी कंपनी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करती है क्योंकि यह मुनाफे वाले क्षेत्र हैं।
संघर्ष समिति ने बताया की 15 जुलाई को उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने सुओ मोटो संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों कंपनियों को नोटिस जारी की है। विद्युत नियामक आयोग ने इस नोटिस में कहा है कि टाटा पावर की चारों कंपनियों गरीब उपभोक्ताओं खासकर 1 किलो वाट और 2 किलोवाट के घरेलू उपभोक्ताओं को कई कई महीने तक बिजली का कनेक्शन नहीं देती।नियामक आयोग ने कहा है कि निजीकरण के बाद छोटे घरेलू उपभोक्ता निजी कंपनियों की दया पर निर्भर हो गए हैं। उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने निजी कंपनियों के परफॉर्मेंस को लेकर बेहद गुस्सा जाहिर किया और इनके परफॉर्मेंस पर जनसुनवाई का आदेश दे दिया है। इसके पूर्व फरवरी 2015 में नियामक आयोग ने बहुत खराब परफॉर्मेंस के चलते रिलायंस पावर के विद्युत वितरण के सभी लाइसेंस रद्द कर दिए थे। सवाल है कि अब यही विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश पर क्यों थोपा जा रहा है ?
संघर्ष समिति ने कहा कि मुनाफे का निजीकरण और घाटे का राष्ट्रीयकरण कदापि स्वीकार्य नहीं है। अब जब ऊर्जा मंत्री ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि बिजली एक जनसेवा है तो उन्हें स्वयं पहल कर तत्काल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त कर देना चाहिए जिससे ऊर्जा निगमों में कार्य का स्वस्थ वातावरण बन सके।
निलंबन,फेशियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोके और रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की दृष्टि से स्मार्ट मीटर लगाए जाने के विरोध में आज सैकड़ो की संख्या में बिजली कर्मी आज़मगढ़ में मुख्य अभियंता के कार्यालय पहुंचे।
फेशियल अटेंडेंस के नाम पर हजारों बिजली कर्मियों का मनमाने ढंग से वेतन रोक दिया गया है। बिजली कर्मी मांग कर रहे हैं की रुका हुआ वेतन तत्काल जारी किया जाए। बिजली कर्मियों के निवास पर स्मार्ट मीटर लगाया जाना तत्काल बंद किया जाय।
निजीकरण और उत्पीड़न के विरोध में आज लगातार 239 वें दिन बिजली कर्मियों ने आज़मगढ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
पिछले दो माह से आज़मगढ़ क्षेत्र के 600 से ज्यादा विद्युत कर्मियों को वेतन भुगतान नहीं किया गया है, जिसके विरोध का सामना आज मुख्य अभियंता कार्यालय पर समीक्षा बैठक करने आए डायरेक्टर कमर्शियल शिशिर सिंह को करना पड़ा , साथ ही कार्मिकों द्वारा चेतावनी दी गयी कि अगर अगले माह वेतन भुगतान नहीं किया गया तो विद्युत कर्मी कार्य बहिष्कार पर जाने के लिए मजबूर होंगे.
आज की सभा को मुख्य रूप से प्रभु नारायण पांडेय, राज नारायण सिंह, चंद्र शेखर, धीरज पटेल, निखिल शेखर सिंह ,महेश गुप्ता, वीर विक्रम सिंह , अशेष सिंह, वेद यादव, जय प्रकाश यादव , रोशन यादव, रवि शंकर गुप्ता, अखिल पांडेय , चंद्रजीत यादव, उपेंद्र नाथ इत्यादि ने संबोधित किया।