देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। मुख्य विकास अधिकारी जागृति अवस्थी की अध्यक्षता में विकास भवन के सभागार में वर्ल्ड जूनोसिस-डे कार्यशाला का आयोजन किया गया। बैठक में पशु चिकित्सा विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, शिक्षा विभाग नगर निकाय विभाग को जूनोटिक बीमारी के रोकथाम के लिए जागरूक किया गया। मुख्य विकास अधिकारी ने कार्याशाला का शुभारम्भ किया। डा प्रेमनाथ अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौजूदा संक्रामक रोगों में से 60 प्रतिशत और नये उभरते संक्रामक रोगों में से 75 प्रतिशत जूनोटिक प्रकृति के हैं। वन हेल्थ एक सहयोगात्मक, अंतःविषय दृष्टिकोण है जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को पहचानता है। इसका उद्देश्य जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए इन क्षेत्रों में प्रयासों को एकीकृत करके इष्टतम स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करना है। अनिवार्य रूप से, यह स्वीकार करता है कि लोगों, जानवरों और पर्यावरण का स्वास्थ्य निकटता से जुड़ा हुआ है और एक दूसरे पर निर्भर है। सभी विभागों की सहभगिता से ही जूनोटिक बीमारी से बचा जा सकता है। मुख्य विकास अधिकारी ने पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि समुदाय में संदिग्ध पागल कुत्तों को पकड़ने के लिए निगरानी प्रणाली बढ़ाने एवं आवारा कुत्तों का सामूहिक टीकाकरण कराया जाए। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि जंगली जानवरों से मनुष्यों में रैबीज संक्रमण फैल सकते है, इस हेतु जागरूकता फैलायी जाए। कृषि विभाग द्वारा स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से स्क्रब टाइफस और लैप्टोस्पयरोसिस जैसी जूनोटिक बीमारियों और उन्हें रोकने के तरीकों के बारे में चौपालों के माध्यम से लोगो और किसानों को जागरूक किया जाए। डा एके मिश्रा पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है। नगर निकाय के द्वारा आवारा जानवरों को पकड़ने व उनका टीकाकरण कराने तथा सार्वजनिक शिक्षा अभियान चलाकर लोगों को जूनोटिक रोगों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस मौके पर डा प्रेमनाथ, डा एके मिश्रा, मुकुल पांडेय आदि मौजूद रहे।