कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2025-26 के अनुपालन में रीता कौशिक, जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर के तत्वाधान में शुक्रवार को संयुक्त जिला चिकित्सालय, अम्बेडकरनगर में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर एवं लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम (पी०सी०पी०एन०डी०टी० एक्ट) के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया इस विधिक साक्षरता शिविर / जागरूकता कार्यकम में भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर, डा० हर्षित गुप्ता. चिकित्सालय प्रबन्धक, श्री शरद पाण्डेय, असिस्टेंट एल०ए०डी०सी०एस०, संयुक्त जिला चिकित्सालय के कर्मचारी तथा जि०वि० से०प्रा० के कर्मचारीगण तथा पराविधिक स्वंय सेवक आदि उपस्थित रहे।
संयुक्त जिला चिकित्सालय में आयोजित शिविर को सम्बोधित करते हुये भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर द्वारा बताया गया कि विश्व जनसंख्या दिवस हर वर्ष 11 जुलाई को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस वर्ष (2025) की थीम युवाओं को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण विश्व में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना है इस दिन को मनाने का उद्देश्य जनसंख्या वृद्धि की दर को लेकर जनजागरूकता बढ़ाना परिवार नियोजन, स्वास्थ्य सेवाओं, और गर्भ निरोधक उपायों के प्रति जागरूकता फैलाना है एवं लैंगिक समानता, युवा सशक्तिकरण, शिक्षा, प्रजनन स्वास्थ्य और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर जैसे मुद्दों को उजागर करना व गरीबी, बेरोजगारी और पर्यावरणीय दबाव जैसे जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों को समझाना, सरकारों को जनसंख्या नीति पर विचार के लिए प्रेरित करना है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1989 में इस दिन को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। भारत वर्ष 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। भारत में वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि की गति धीमी हुई है. लेकिन जनसंख्या आधार बहुत बढ़ा है जिससे चुनौतियां बरकरार है जैसे जनसंख्या वृद्धि से स्वास्थ्य प्रणाली पर बोड़ा बढ़ता है। संसाधनों की कमी के कारण सभी तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचना कठिन हो जाता है, जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में नौकरियों की कमी बेरोजगारी को बढ़ावा देती है। पर्यावरणीय क्षरण जलवायु परिवर्तन व प्रदूषण, वन क्षेत्रों में कमी, और जैव विविधता पर संकट। शहरीकरण की समस्याएँ झुग्गी बस्तियों का विस्तार, यातायात, प्रदूषण और सामाजिक असमानताए।
गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 भारत की संसद का एक अधिनियम है जिसे भारत में कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ते लिंगानुपात को रोकने के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम ने जन्मपूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य गर्भधारण से पहले या बाद में लिंग चयन तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और लिंग चयनात्मक गर्भपात के लिए प्रसवपूर्व निदान तकनीकों के दुरुपयोग को रोकना है। कोई भी प्रयोगशाला या केन्द्र या क्लिनिक भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के उद्देश्य से अल्ट्रासोनोग्राफी सहित कोई भी परीक्षण नहीं करेंगे। कोई भी व्यक्ति, यहां तक कि कानून के अनुसार प्रक्रिया करने वाला व्यक्ति भी. गर्भवती महिला या उसके रिश्तेदारों को शब्दों, संकेतों या किसी अन्य तरीके से भ्रूण का लिंग नहीं बताएगा।
शरद पाण्डेय, असिसटेण्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल द्वारा बताया गया कि कोई भी व्यक्ति जो नोटिस, परिपत्र, लेबल, आवरण या किसी दस्तावेज के रूप में प्रसव पूर्व और गर्भाधान पूर्व लिंग निर्धारण सुविधाओं के लिए विज्ञापन देता है, या इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट रूप में आंतरिक या अन्य मीडिया के माध्यम से विज्ञापन देता है या होर्डिंग, दीवार पेंटिंग, सिग्नल, प्रकाश, ध्वनि के माध्यम से कोई दृश्य चित्रण करता है, उसे तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है एवं अन्य परिस्थितियों में दण्ड 05 वर्ष तक की कैद एवं 50,000 रूपये का जुर्माना भी हो सकता है।
डा० हर्षित गुप्ता, चिकित्सालय प्रबन्धक द्वारा बताया गया कि प्रदेश में घटते लिंगानुपात की रोकथाम हेतु उ०प्र० सरकार द्वारा 'मुखबिर योजना 01 जुलाई 2017 से लागू की गयी है। जिसका उद्देश्य लिंग चयन एवं लिंग चयन के पश्चात् लिंग के भ्रूण की हत्या के अवैध कार्य में संलिप्त व्यक्तियों/केन्द्रों/संस्थाओं की गोपनीय रूप से सूचना प्राप्त की जाये व ऐसे लोगों के विरूद्ध मा० न्यायालय में दण्डादेश पारित कराने हेतु प्रभावी कार्यवाही की जा सके।