देवल संवादाता,वाराणसी।वेस्ट टू वंडर के माध्यम से रिसाइकल व रीयूज के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। काशी की सड़कें और चौराहे वेस्ट टू वंडर के जरिये अपनी पहचान खुद बता रहे हैं। शहर के 37 चौराहों और सड़कों पर रिसाइकल व रीयूज के तहत स्क्रैप का इस्तेमाल करके स्कल्पचर तैयार किए गए गए हैं। कबाड़ (स्क्रैप) से कलाकृति का नायाब उदाहरण बनारस आने वालों को नजर आ रहा है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण, बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, रेल मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से इसे बनाकर इंस्टॉल किया जा रहा है।
शहर में कुल 60 स्कल्पचर बनाए जा चुके हैं। इसमें से 35 स्कल्पचर इंस्टॉल किए जा चुके हैं, जबकि 25 और इंस्टॉल किए जाएंगे।
स्कल्पचर देखकर जानेंगे काशी का महत्व
बनारस को जानने के लिए पर्यटक अब चौराहों और सड़कों पर लगे स्कल्पचर को देखकर उस इलाके की विशेषता (पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक महत्व, हस्तकला, खेल एवं परंपरा) आदि के बारे जान सकेंगे। क्षेत्र विशेष में लगी प्रत्येक मूर्ति के साथ जुड़े संदेश से भी अवगत हो सकेंगे।
आमजन को संदेश भी देंगी मूर्तियां
महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण, खेल, मिलेट्स, योग, हस्तशिल्प, जैसे मुद्दों पर समाज को जागरूक करती हुई मूर्तियां आमजन को संदेश भी देंगी। ये स्कल्पचर स्थानीय लोगों और आगंतुकों के लिए लैंड मार्क का काम भी कर रहे हैं।
शहर में 60 स्थानों पर लगाए जा रहे स्कल्पचर
वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि कबाड़ से बनी ये कलाकृतियां न केवल वाराणसी की सुंदरता को बढ़ा रही हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि रचनात्मकता और रीयूज के माध्यम से अनुपयोगी वस्तुओं को भी मूल्यवान और आकर्षक बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है।