कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर । नौजवान भारत सभा की ओर से आयोजित चार दिवसीय ग्रीष्मकालीन बाल रचनात्मकता शिविर सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सिंघलपट्टी में नौजवान भारत सभा की ओर से चार दिवसीय ग्रीष्मकालीन बाल रचनात्मकता शिविर का आज आख़िरी दिन था आख़िरी दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ शिविर का समापन किया गया। समापन कार्यक्रम में बच्चों के अभिभावक के साथ-साथ क्षेत्र के तमाम सम्भ्रान्त नागरिक शामिल हुए। बच्चों ने क्रान्तिकारी गीत पेश किया और नुक्कड़ नाटक 'देश को आगे बढ़ाओ' का मंचन किया। शिविर में शामिल दिव्यांश, अनुष्का, मानसून, वन्दना आदि बच्चे इस शिविर के आयोजन से काफ़ी उत्साहित दिखे। बच्चों ने बताया कि यहाँ पर्यावरण सुरक्षा से लेकर विज्ञान, दैनिक जीवन में प्रयोग आदि के बारे में बहुत कुछ सीखाने को मिला। अनुराग, आर्यन, मनसीज ने बताया कि यहाँ सामूहिकता, खेल- कूद और व्यायाम के महत्त्व के बारे में बहुत कुछ जानने समझने को मिला। 02 जून 2025 से आयोजित इस बाल शिविर में लगभग 130 बच्चों ने हिस्सा लिया। नौजवान भारत सभा के मित्रसेन ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए बाल शिविर के उद्देश्यों के बारे में बताया।बच्चों ने अपना परिचय दिया जिसमें उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने आसपास या समाज में क्या बदलाव देखना चाहते हैं। बच्चों के विचार इस प्रकार थे : पक्की गली, पीने लायक पानी, कूड़े की गाड़ी की व्यवस्था, घर के पास पार्क, प्रदूषण में कमी, लड़कियों को घर से बाहर निकलने में डर न लगे, समाज में लड़के-लड़की, अमीर-ग़रीब का भेदभाव ख़त्म हो, ग़रीबी ख़त्म हो, हिन्दू-मुसलमान में प्रेम हो, समाज में कोई लड़ाई-झगड़ा न हो, हर नागरिक दूसरे नागरिक को समान नज़रों से देखे आदि। शिविर में शामिल कक्षा 8वीं की छात्रा मानसून ने सावित्री बाई फुले और फ़ातिमा शेख़ के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि आज भी ‘सबको मुफ़्त और एक समान गुणवत्ता वाली शिक्षा’ का सपना अधूरा है और इस लड़ाई को जारी रखने की ज़रूरत है। इसके बाद वन्दना नेअभिभावकों को यह बताया कि मनुष्य और कला का अटूट रिश्ता है, शिविर के दौरान बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों को प्रस्तुत किया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत, नाटक ‘देश को आगे बढ़ाओ’ को अभिभावकों और बच्चों ने ख़ूब पसन्द किया और वह समझे कि देश की तरक़्क़ी का अर्थ कुछ नेताओं- व्यापारियों का करोड़पति बन जाना नहीं होता बल्कि देश की तरक़्क़ी का मतलब होता है उसकी आम मज़दूर-मेहनतकश आबादी की तरक़्क़ी। प्रस्तुतियों के बाद अभिभावकों ने अपने विचार साझा किया और कहा कि आज-कल के दौर में बच्चों के ऊपर फ़ोन और वीडियो गेम्स का पँजा कसता जा रहा है ऐसे में इस तरह के प्रोग्राम बच्चों को न केवल अच्छी बातें सिखा रहे हैं बल्कि उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मददगार हैं। अभिभावकों ने सहमति जताई कि आज भी लड़कियों पर तरह-तरह की बन्दिशे हैं जिस कारण वे शिक्षा और रोज़गार में लड़कों के बराबर नहीं हैं। अन्त में नौभास के विद्रेश ने अभिभावकों के सामने अपील की कि हमें अपने इलाके में सरकारी शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को ठीक करवाने और रोज़गार की गारंटी की माँग उठाने के लिए साथ आना होगा।
अविनाश ने पर्यावरण दिवस पर बात रखी और बताया कि पर्यावरण को बचाना हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्ननों में से एक है। मित्रेसन ने कहा है भविष्य को बचाने के लिए बच्चों को बचाना और अच्छी शिक्षा देना बहुत जरूरी है।कार्यक्रम का संचालन प्रियांशु ने किया।