देवल संवाददाता, गोरखपुर ।सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास सार्थक तभी जब सुरक्षा है। सुरक्षा के बगैर समृद्धि भी नहीं रहती। 2017 के पहले विकास इसलिए नहीं हो पाता था क्योंकि सुरक्षा नहीं थी। सरकार अपराधियों के साथ-साथ खड़े थे। अपराधी गरीब की जमीन, व्यापारी की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करते थे।
आज कब्जा करेगा तो मालूम है लेने के देने लड़ जाएंगे। बेटी और व्यापारी को कोई छेड़ेगा को यमराज के घर का रास्ता खुल जाएगा। मुख्यमंत्री रविवार को कोतवाली स्थित परमहंस योगानंद स्मृति भवन का शिलान्यास एवं भूमिपूजन कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि एक-एक घर में सीसी कैमरे लगे है।
प्रदेश तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश का कोई भी शहर विकास भी कर रहा और विरासत का संरक्षण भी कर रहा है। विरासत का सरंक्षण हो रहा तो युवाओं को रोजगार भी मिल रहा हैं। बॉर्डर पर चल रहे संघर्ष पर सीएम ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों का सबसे बड़ा आका है। अब ब्रह्मोस मिसाइल लखनऊ में बनने वाली है।
इसे फिट करने से दुश्मन के आका भी खत्म हो जाएंगे। ये तभी है जब सुरक्षा का भाव हर नागरिक के अंदर हो। कहा, हम तभी तक सुरक्षित हैं जब हमारा देश सुरक्षित है। हमारी प्राथमिकता में देश पहले होना चाहिए। कहा सभी भारतियों के मन में भाव होना चाहिए कि देश की आन, बान और शान से जो गुस्ताखी करेगा उसके छक्के छुड़ा देंगे।
कोई सुरक्षा में सेंध लगाए उसे ही तोड़ दें। कोई गलत प्रचार करे तो उसका बहिष्कार करो। अंततः देश की लड़ाई हम सबकी लड़ाई है। इस भाव से काम करेंगे तभी हमारी समृद्धि और सुरक्षा बनी रहेगी। योगानंद की वजह से आप अमेरिका जायेंगे तो आपको अपना परिचय देने की जरूरत नहीं होगी।
आज गोरखपुर के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी को आगे बढ़ा रहे है। 132 वर्ष बाद इस स्थान का पुनरोद्धार हो रहा है। 5 जनवरी 1898 में मुकुंद लाल घोष ने जन्म लिया। उनके बचपन के 8 वर्ष गोरखपुर में व्यतीत हुए। आध्यात्मिक जिज्ञासु होने के नाते क्रियात्मक योग के रूप में धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया।
इस स्थान पर परमहंस योगानंद की स्मृति को जीवित रख सकें, गोरखपुर के साथ उनके संबंधों को जोड़ सकें इसके लिए कई बार प्रयास किया। आज हम उस महापुरुष को मुफ्तीपुर में याद कर रहे है। भारत की परंपरा महान योगियों,ऋषियों और तपस्वियों से जुड़ी हुई है।
उन्होंने चेतना के विस्तार से सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करके रखा। भारत के संतों, ऋषि मुनियों ने अपनी साधना की सिद्धि के माध्यम से तत्कालीन समाज का मार्गदर्शन किया। साथ ही अपनी सिद्धियों के माध्यम से लोगों को जीवन दर्शन के बारे में बताया। भारत के अध्यात्म की ही पराकाष्ठा रही होगी महाभारत का युद्ध।
एक तरफ कौरवों की सेना खड़ी थी दूसरी तरफ पांडव। धृतराष्ट को लगा कि उन्हें ये युद्ध देखना चाहिए। धृतराष्ट को गलतफहमी हो गई थी कि कौरव युद्ध जीत जाएंगे। महर्षि वेदव्यास ने कहा कि तुम युद्ध देख सकते हो। धृतराष्ट्र ने उस दिव्य दृष्टि को संजय को देने को कहा। उस पूरे युद्ध को भगवान कृष्ण, महर्षि वेदव्यास और संजय देख रहे थे। संजय उसे धृतराष्ट को बता रहे थे।
अपने ऋषि मुनियों के अनेकों ऐसे वृतांत सुने होंगे। अनेक ग्रन्थ है जो भारत की ऋषि मुनि परंपरा को आने वाली पीढ़ी के लिए प्रस्तुत करते हैं। योगियों की परंपरा गोरक्षपीठ में देखने को मिली। वर्तमान कालखंड में आने ऐसे
योगी हुए जिन्होंने धर्म का मार्ग प्रशस्त किया।
योगानंद ने अपनी जीवनी में गोरखपुर का उल्लेख किया। अपनी स्मृतियों के बारे में लिखा है। बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने वे वैश्विक क्षितिज पर छा गए। पर्यटन विभाग और प्रशासन इसकी समय सीमा तैयार करे। डेढ़ साल में योग मंदिर और स्मारक तैयार हो जाए।
जो भी अपनी परंपरा को विस्तृत वो विकास को बाधित करता है। परंपरा से भटका व्यक्ति एक कालकोठरी की तरफ जाता है, विरासत से भटका व्यक्ति अंधकार की तरफ जाता है। 132 वर्ष पहले गोरखपुर बहुत छोटा था। यह मुख्य बाजार था। गोरखनाथ मंदिर यहां से दूर था। आज गोरखपुर का कितना फैलाव हो गया है।
आज गोरखपुर जी आबादी 70 लाख है। उस समय करीब 60 हजार होगी। गोरखपुर में अनेक विकास कार्य हुए, सड़कें चौड़ी हो रही है। घंटाघर का जीर्णोद्धार हो रहा है। तार अंडरग्राउंड हो रहे है। अच्छी स्ट्रीट लाइट लग रही है। अच्छी व्यवस्था के लिए इसलिए नहीं कि केवल रविकिशन फिल्म की शूटिंग करें।