देवल संवाददाता, आजमगढ़। अक्षय तृतीया यानी इस दिन किया जाने वाला कर पुण्य काम अक्षय होता है। इस पर्व को लोगों ने अपने-अपने ढंग से मनाया। कहीं जरूरतमंदों की जरूरतें पूरी की गईं, तो कहीं सोना और चांदी संग्रह किया गया। किसी ने नए बर्तन खरीदे तो किसी ने नए परिधान। सबकी अपनी सोच रही और उस सोच के मुताबिक काम किया। घरों में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर दीर्घायु और आरोग्य का आशीर्वाद मांगा गया तो वहीं लोगों ने अपनी क्षमता अनुसार सामान और नकदी दान किया। माना जाता है कि इस दिन पूजा और दान का फल कभी समाप्त नहीं होता और वह अक्षय रहता है।
इस पर्व पर स्वर्ण आभूषण खरीदने की परंपरा फिलहाल लोगों पर हावी दिखी। महंगाई के बाद भी सराफा बाजार गुलजार रहा। यह अलग बात रही कि लोगों ने अपने सामथ्र्य के मुताबिक खरीददारी की। आम आदमी ने हजार रुपये का आभूषण खरीदा तो वहीं संपन्न लोगों ने लाखों रुपये की खरीददारी की। पुरानी कोतवाली पर सराफा बाजार में सुबह से ग्राहकों के पहुंचने का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक बना रहा। महंगाई का असर नहीं के बराबर रहा।
महुजा नेवादा स्थित माता अठरही धाम के पुजारी गिरजा शंकर पाठक ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए जप, तप, यज्ञ, दान-पुण्य आदि अक्षय पुण्य देते हैं, जिसका अर्थ है कि इनका फल जीवन भर बना रहता है। इस दिन सोना-चांदी खरीदना भी विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, यानी इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, क्योंकि उसका फल स्थाई रहता है। भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन तुलसी की पूजा को भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है। तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाने और परिक्रमा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तो वहीं दामोदर दास कटरा स्थित ज्वेलरी की दुकान के ओनर आशीष अग्रवाल व अशोक अग्रवाल ने कहा कि हमारे यहां ज्वेलरी से संबंधित हर प्रकार के आइटम उपलब्ध है साथ ही साथ उन्होंने कहा कि ज्वेलरी के भाव बढ़ जाने से ग्राहकों के लिए ज्वेलरी खरीद पाना एक चुनौती सा लग रहा है।