देवल संवादाता,वाराणसी,भद्रा की वजह से इस बार होलिका दहन के लिए 1.46 घंटे का मुहूर्त मिल रहा है। रात्रिव्यापिनी पूर्णिमा में ही हाेलिका दहन का विधान है। इस कारण काशी में हाेलिका दहन 13 मार्च की रात में ही हो जाएगा। इसके साथ ही होली का हुड़दंग शुरू हो जाएगा। काशी में 14 मार्च को होली मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार, 13 मार्च को होलिका दहन भद्रा के बाद रात्रि में 10:44 से 12:30 बजे तक होगा। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन का विधान है। पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10.35 बजे होगी।
इस तिथि का समापन 14 मार्च को 12.23 बजे होगा, इसलिए प्रदोषकाल में पूर्णिमा की तिथि नहीं मिल रही है। लिहाजा, एक दिन पहले यानी 13 मार्च को भद्रा समाप्त होने के बाद रात 10:44 बजे से 12 बजे के बीच होलिका दहन होगा। होलिका दहन के विषय में जितने भी पक्ष कहे गए हैं, उनसे स्पष्ट है कि भद्रा में होलिकादहन के निषेध का पालन करना चाहिण्। सा प्रदोषव्यापिनी भद्रारहिता ग्राह्या...अर्थात प्रदोषव्यापिनी भद्रारहित पूर्णिमा होलिका के लिए ग्राह्य है।
पूर्व महंत के आवास पर 7 मार्च से शुरू होगा गौरा के गौना का उत्सव
फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष पक्ष की अमला एकादशी 10 मार्च (रंगभरी एकादशी) पर माता गौरा का गौना होगा। इसकी शुरुआत सात मार्च से विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर हो जाएगी।
संध्याबेला में माता गौरा को हल्दी लगाई जाएगी। परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी पर काशीवासी पालकी पर महादेव-गौरा के साथ प्रथमेश को विराजमान कराकर पूर्व महंत के आवास से मंदिर तक लेकर जाएंगे। इससे पहले सात मार्च को हल्दी की रस्म होगी। मंगल गीतों के बीच गौरा को हल्दी लगाई जाएगी।
यह रस्म विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डाॅ. कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के बाद पहली बार उनकी पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में वंश परंपरानुसार उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी निभाएंगे। हल्दी के पारंपरिक गीतों में ससुराल की खूबियों का बखान कर शिवांजलि प्रस्तुत की जाएगी। शिवाजंली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के कारण शिवांजलि के तहत होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम संक्षिप्त रहेंगे।
मसान की होली के लिए प्रशासन अलर्ट
मणिकर्णिका घाट पर होने वाली मसान की होली के लिए पुलिस और प्रशासन ने अभी से निगरानी शुरू कर दी है। पुलिस ने आयोजकों से पूरे आयोजन से जुड़े कागजात मांगे हैं। इसके साथ ही पिछले साल की घटनाओं की दोबारा पुनरावृत्ति न होने की सख्त हिदायत दी है।
पिछले साल मसान की होली के दौरान काफी संख्या में युवकों ने नशे में धुत होकर विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर जमकर जूते चप्पल हवा में चलाए थे। इस बार मसान की होली पर ऐसी घटना न हो, इसके लिए प्रशासन ने पहले से ही सख्ती से निगरानी रखनी शुरू कर दी है।