देवल संवाददाता, गोरखपुर ।धंधबाजों ने मुनाफे के लिए खाने-पीने की हर चीज में मिलावट कर रखा है। शहर में बिक रहे मसालों में ज्यादातर मिलावटी हैं। शाहजांपुर और कानपुर के धंधेबाज काली मिर्च में बारीकी से मिलावट कर उसे गोरखपुर पहुंचा रहे हैं। शहर में हर महीने करीब 40 करोड़ की मिलावटी काली मिर्च खपाई जा रही है।
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मंगलवार को लालडिग्गी क्षेत्र स्थित स्वास्तिक ट्रांसपोर्ट फाउंडेशन के गोदाम से काली मिर्च और खड़ी हल्दी का नमूना लिया। गोदाम में 16 बोरी काली मिर्च रखी हुई थी, जिसमें रंग और तेल के मिलावट होने की आशंका थी।
सूत्रों की मानें तो कानपुर से मिलावटी काली मिर्च की सप्लाई की जा रही है। कानपुर में ही काली मिर्च में पपीते और भिंडी के बीच को मिलाया जाता है। इसके रंग में फर्क न आए इसके लिए कुछ केमिकल को भी मिलाते हैं।
मिलावटी माल पकड़ में न आए इसके लिए ट्रांसपोर्ट की बिलिंग कर मंडी तक लाया जाता है। मंडी के सूत्रों ने बताया कि इसमें शाहजहांपुर, कानपुर और दिल्ली के धंधेबाज जुड़े हुए हैं।
हर महीने खप रही 10 हजार क्विंटल मिलावटी काली मिर्च
गोरखपुर की मंडी में हर महीने करीब 25 हजार क्विंटल काली मिर्च की खपत है। इसमें 10 हजार क्विंटल मिलावटी रहता है। मिलावटी मिर्च की कीमत 375 से 410 रुपये प्रति किलो है। वहीं असली काली मिर्च का रेट 670 से 800 रुपये प्रति किलो है। व्यापारियों की मानें तो मिलावटी मिर्च से धंधेबाज मोटी कमाई करते हैं। हर महीने इसका धंधा करीब 40 करोड़ तक हो रहा है। सहालग और सर्दी में यह और भी ज्यादा हो गया था।
नेपाल और बिहार तक सप्लाई
धंधेबाज कानपुर से नकली काली मिर्च को पहले गोरखपुर पहुंचाते हैं। यहां से इसे छोटी गाड़ियों में लादकर आसपास के जिलों, नेपाल और बिहार तक सप्लाई की जाती है। सूत्रों ने बताया कि गोरखपुर से निकलने के बाद ये कहीं भी पकड़े नहीं जाते। इनका नेटवर्क काफी बड़ा है।
मंगलवार को साफ कर दिए दाने
साहबगंज किराना कमेटी के व्यापारियों की सूचना पर सोमवार रात में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जांच की थी, जबकि नमूने मंगलवार को लिए गए। व्यापारियों की मौजूदगी में अधिकारियों ने गोदाम में गिरी हुई काली मिर्च को पानी में डाला तो दाने ऊपर आ गए और रंग भी सफेद हो गया। इसमें आशंका हुई कि काली मिर्च में भिंडी के बीज हैं, लेकिन मंगलवार को गोदाम खुला तो नीचे गिरे हुए दाने साफ कर दिए गए थे।
मिलावटखोर हल्दी में चमक बरकरार रखने के लिए लेड क्रोमेट लगाते हैं, इसकी जांच के लिए हल्दी का नमूना लिया गया है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने शेषपुर मोहल्ले स्थित दीपक कुमार भट्ट के ट्रांसपोर्टर फाउंडेशन में आई काली मिर्च का नमूना लिया। व्यापारियों की सूचना के अनुसार गोदाम में 125 बोरी काली मिर्च कानपुर से आई थी, लेकिन मौके पर 16 बोरी ही मिली। इस कारण ट्रांसपोर्टर को नोटिस देकर बिल मांगा गया है कि किसने माल मंगाया था। उसके आधार पर जांच की जाएगी।
सही सामान बेचने वालों को नुकसान
साहबगंज किराना कमेटी के मंत्री गोपाल जायसवाल ने बताया कि गोरखपुर से शहर के अलावा बिहार और नेपाल तक काली मिर्च जाती है। असली काली मिर्च कर्नाटक से आती है। असली काली मिर्च का रेट 670 से 800 रुपये किलो है, जबकि यह मिलावटी काली मिर्च थोक में 375 से 410 रुपये किलो बिक रही है। बाजार में मिलावटी काली मिर्च को भी असली के रेट से बेचा जा रहा है। इससे अच्छे व्यापारियों को काफी नुकसान होता है।
एलर्जी और लिवर से जुड़ी समस्याएं
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि काली मिर्च एक आम मसाला है जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। मिलावटी काली मिर्च खाने से कई नुकसान हो सकते हैं। इसमें केमिकल पदार्थों के मिलाने से पाचन संबंधित समस्याएं आ सकती हैं। मिलावटी काली मिर्च में मौजूद अन्य पदार्थों से एलर्जी या संवेदनशीलता हो सकती है, जो त्वचा पर चकत्ते, खुजली या अन्य प्रतिकूल प्रभावों का कारण बन सकती है। इससे लिवर की समस्याएं भी हो सकती हैं।
नौसड़ में खपा दी 32 बोरी चायपत्ती
मिलावटी काली मिर्च की तरह नौसढ़ में 20 दिन पहले चमड़ा रंगने वाले रंग के साथ पकड़ी गई चायपत्ती को भी खपा दिया गया था। बिल के अनुसार 32 बोरी चापयत्ती देवरिया सहित अन्य स्थानों पर बेची गई थी। देवरिया में जांच हुई तो वहां भी मिलावटी चायपत्ती का नमूना लिया गया था। खाद्य सुरक्षा विभाग ने चायपत्ती का नमूना लिया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है।
मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच के लिए अभियान जारी है। ट्रांसपोर्टर के गोदाम में काली मिर्च और खड़ी हल्दी का नमूना लिया गया है। नोटिस देकर बिल मांगा गया है कि कानपुर से आई काली मिर्च को कहा कहां भेजा गया। पहले दिन गोदाम में गिरी काली मिर्च में भिंडी के बीज की मिलावट थी, लेकिन उसे अगले दिन हटा दिया गया था। काली मिर्च में रंग और तेल के मिलावट होने की आशंका है।- डॉ. सुधीर कुमार सिंह, सहायक खाद्य आयुक्त