कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्थानीय स्वामी विवेकानन्द इण्टर कॉलेज के ग्राउण्ड पर 26 फरवरी दिन बुधवार महाशिवरात्रि के अवसर पर शाखा संगम कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें टाण्डा खण्ड में जगह-जगह लगने वाली सभी मण्डल की शाखाओं का एक साथ लगाने का अभिनव प्रयोग हुआ। सभी शाखाओं के मुख्य शिक्षक एवं शाखा कार्यवाह अपने ध्वज एवं सैकड़ो स्वयंसेवकों को लेकर कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित हुए। एक ही प्रांगण में इतनी शाखा एवं उनके ध्वज उपस्थित लोगों का मन मोह रहे थे। स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए आरएसएस के सह विभाग कार्यवाह श्रीमान वीरेन्द्र जी ने कहा कि आरएसएस की शाखा में व्यक्ति का बौद्धिक विकास व चरित्र निर्माण होता है। सभी स्वयंसेवक अनुशासन सीखते हैं बाल, तरुण , प्रौढ सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल होकर आपस में सामञ्जस्य स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा की शाखा में स्वयंसेवक सामाजिक समरसता देश की सभ्यता व संस्कृति से परिचित भी होते हैं। यह भी कहा कि शाखा में भाग लेने से व्यक्ति मानसिक व शारीरिक रूप से सबल बनता है, शाखा पर प्रतिदिन फहराए जाने वाला भगवा ध्वज को उन्होंने सनातन धर्म में संस्कृति का प्रतीक बताया कि शाखा में ध्वज फहराने के पश्चात सूर्य नमस्कार, योग ,व्यायाम ,खेल ,देशभक्ति गीत होते हैं जिससे लोगों में राष्ट्र प्रेम का भाव जागृत होता है उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने में आरएसएस के स्वयंसेवकों की अहम भूमिका है, कहा कि संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार की 1925 में शुरू की गई शाखा का यह शताब्दी वर्ष है, वसुधैव कुटुम्बकम भारत का दर्शन है और सर्वे भवन्तु सुखिनः भारत की सनातन परम्परा रही है हम पर्यावरण के प्रति आत्मिक लगाव के साथ जाति पाँति के भेद भाव रहित व्यवहार के आधार पर संयुक्त परिवार में विश्वास रखने वाले नागरिक निर्माण करते हैं। विश्व कल्याण के लिए भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है उन्होंने कहा भेदभाव मुक्त समरस समाज की स्थापना संघ का लक्ष्य है इस दौरान वन्दे मातरम ,भारत माता की जय, हर हर बम, के नारों की गूंज दूर तक फैलती रही और संघ प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर मा.खण्ड संघचालक राजकमल , अखिलेश , राजेश, प्रधानाचार्य राम तीरथ , वीरेन्द्र, इंद्रदेव ,अनूप, विजय शंकर संघ प्रचारक शनि नारायण, सौरभ आदि स्वयंसेवक/ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।