कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर । अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डॉ सदानंद गुप्ता ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-233 (टाण्डा-वाराणसी वाया आजमगढ़) के चार लेन चौड़ीकरण /बाईपास के निमार्ण हेतु परियोजना में भूमि अधिग्रहण कार्य को सम्पादित कराने हेतु राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 में दिये गये प्राविधानों के अन्तर्गत सक्षम प्राधिकारी एन०एच०ए०आई०, अपर जिलाधिकारी, (वित्त एवं राजस्व) अम्बेडकरनगर को नियुक्त किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा-3A की अधिसूचना दिनांक 15 जून 2012 व धारा-3D की अधिसूचना दिनांक 14 जून 2013 में जारी गयी, जिसमें तहसील टाण्डा अन्तर्गत 33 ग्रामों (ग्राम रायपुर, केशवपुर पचपोखरा, सम्हरिया, हुसेनपुर सुधाना, रूस्तमपुर, हकीमपुर, आसोपुर, खासपुर, त्रिलोकपुर, सुलेमपुर, शमशुद्दीनपुर, फतेहजहूरपुर, धौरहरा, पैकौलिया, पुन्थर, रामपुरकला, चकफुलवरिया, हसनपुर सुन्थर, दौलतपुर हाजलपट्टी, पिपरी विशुनपुर, मुजाहिदपुर, दसरैचा, बढ़ियानीकला, बढ़ियानी खुर्द, हरैय्या, मोतिगरपुर, गन्नीपुर, भटपुरवा, मलिकपुर, मखदुमनगर, इदिलपुर, डोडो, रामडीहसराय) व तहसील आलापुर अन्तर्गत 10 ग्रामों (ग्राम तेन्दुआ, बुकिया, न्योरी, तिघरा तप्पा न्योरी, अमड़ी, सुल्तानपुर कबीरपुर, कसदहा, कौड़ाही, भोजपुर व सन्दहामजगवां) कुल 43 ग्रामों की भूमि के अधिग्रहण हेतु अधिसूचना जारी की गयी है। परियोजना से प्रभावित तहसील टाण्डा व आलापुर के कुल 43 ग्रामों का आभिनिर्णय दिनांक 06.07.2015 से 24.06.2017 के मध्य घोषित कर परियोजना से प्रभावित भूस्वामियों का नियमानुसार अधिकांश प्रतिकर का भुगतान किया जा चुका है।
द्वितीय गजट- राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा-3A की अधिसूचना का दिनांक 23.03.2018 व धारा 3D की अधिसूचना दिनांक 27 अगस्त 2018 में तहसील टाण्डा अन्तर्गत 27 ग्राम व तहसील आलापुर अन्तर्गत 07 ग्राम कुल 34 ग्रामों की भूमि का गजट प्रकाशन किया गया तथा तृतीय गजट-राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा-3A की अधिसूचना का दिनांक 29.12.2020 व धारा-3D की अधिसूचना दिनांक 26 अगस्त 2021 में तहसील टाण्डा अन्तर्गत 18 ग्राम व तहसील आलापुर अन्तर्गत 05 ग्राम कुल 23 ग्रामों की भूमि का गजट प्रकाशन किया गया है, अधिसूचित ग्रामों का नियमानुसार अभिनिर्णय घोषित कर प्रभावित भूस्वामियों को प्रतिकर भुगतान किया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-233 से सम्बन्धित भूमि अधिग्रहण में आने वाली जन-शिकायतो के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-1956 (1956 का 48) के धारा 3 (जी) की उपधारा-5 के अन्तर्गत जिलाधिकारी, अम्बेडकरनगर को आर्बीट्रेटर नियुक्त किया गया है। उक्त परियोजना से प्रभावित भूस्वामी यदि सक्षम प्राधिकारी एन०एच०ए०आई०, अपर जिलाधिकारी, (वित्त एवं राजस्व) अम्बेडकरनगर द्वारा पारित एवार्ड में निर्धारित प्रतिकर दर से असन्तुष्ट होने की दशा में आर्वीट्रेटर/कलेक्टर के न्यायालय में वाद योजित कर अनुतोष प्राप्त करने की राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम में व्यवस्था प्रदत्त है।
न्यायालय आर्वीट्रेटर / कलेक्टर महोदय द्वारा पारित आदेश से असन्तुष्ट होने की दशा में भूस्वामी जनपद न्यायाधीश महोदय अम्बेडकरनगर के न्यायालय में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 की धारा-34 के अन्तर्गत वाद योजित कर अनुतोष प्राप्त कर सकते है। मा० जनपद न्यायाधीश महोदय द्वारा पारित आदेश से असन्तुष्ट होने की दशा में मा० उच्च न्यायालय तथा मा० उच्चतम् न्यायालय में योजित कर अनुतोष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों / भूस्वामियों द्वारा परियोजना में प्रभावित प्रत्येक गाटे में रकबा 0.0510 हे0 तक आवासीय दर के आधार पर अभिनिर्णय से पृथक धनराशि की माँग की जा रही है, जो कि घोषित एवार्ड में सम्मिलित नही है तथा जिसका वास्तविक समाधान न्यायिक प्रक्रिया से आच्छादित है। अधिसूचित गाटों का गजट प्रकाशन धारा-3A व 3D में कृषि/सरकारी के रूप में हुआ है, राजस्व अभिलेखों में भी सभी गाटों की भूमि कृषि भूमि है। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों/भूस्वामियों की मॉग के क्रम में जिलाधिकारी महोदय अम्बेडकरनगर की अध्यक्षता में परियोजना निदेशक एन0एच0-233 एवं पदाधिकारियों/भूस्वामियों के साथ कई बार प्रकरण के निराकरण हेतु बैठक / चर्चा की गयी, प्रभावित किसानों से प्रशासन द्वारा लगातार संवाद बनाकर रखा गया है। प्रत्येक माह प्रभावित किसान उपजिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी व जिलाधिकारी महोदय से दो से तीन बार मुलाकात कर अपनी समस्याओं को रखते हैं। प्रभावित किसानों की मॉग है कि मुआबजा अकृषक दर से रकबा 0.0510 हे0 तक प्रशासनिक निर्णय के आधार पर बढ़ोत्तरी कर दिया जाये, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिनियम की व्यवस्थानुसार अभिनिर्णय में पुनरीक्षण केवल न्यायिक व्यवस्था के तहत किया जा सकता है। पदाधिकारियों / भूस्वामियों को अधिग्रहण से सम्बन्धित नियमों से अवगत कराते हुए बताया गया कि प्रतिकर दर निर्धारण से असन्तुष्ट होने की दशा में नियमानुसार मा० न्यायालय में वाद योजित कर अनुतोष प्राप्त कर सकते हैं।