कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।
नौजवान भारत सभा सिंघलपट्टी ईकाई द्वारा वृहस्पतिवार को बेनीपुर गाँव में काकोरी के शहीदों की शहादत दिवस पर शहीद स्मृति अभियान के तहत पैदल मार्च निकालकर नुक्कड़ सभाएं की गयी। इस दौरान नौभास के विन्द्रेश ने कहा कि काकोरी एक्शन के शहीदों के महत्वपूर्ण होने की खास वजह आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेज अपनी फूट डालो और राज करो की नीतियों के द्वारा हिंदू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता को लगातार बढ़ावा दे रहे थें। एच एस आर ए का मानना था कि धर्म एक व्यक्तिगत मामला होना चाहिए और उसका राज्य मशीनरी व राजनीति में बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान ने अपनी अंतिम इच्छा यही जताई थी कि हिंदू-मुस्लिम एकजुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ लडे़ ।हम अशफ़ाक व बिस्मिल की साम्प्रदायिकता-विरोधी विरासत को आपके बीच लेकर आये हैं। इसके साथ ही हम आपको 1857 के उन शहीदों की याद दिलाना चाहते हैं जिन्होंने जाति-धर्म की ज़ंजीरों को तोड़कर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़े थे। धार्मिक झगड़े के पीछे मुट्ठीभर लुटेरों व शासक वर्ग का हाथ होता है इस बात को काकोरी एक्शन के शहीद भली भाँति समझते थे। रामप्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक उल्ला खान ने अपने आख़िरी सन्देश जो कहा था वह आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। बिस्मिल ने कहा था- "अब देशवासियों के सामने यही प्रार्थना है कि यदि उन्हें हमारे मरने का ज़रा भी अफ़सोस है तो वे जैसे भी हो, हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करें - यही हमारी आख़िरी इच्छा है, यही हमारी यादगारी हो सकती है।"अशफ़ाक़ ने कहा था- "हिन्दुस्तानी भाइयो! आप चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के मानने वाले हों, देश के काम में साथ दो।व्यर्थ आपस में न लड़ो।"इस दौरान रामधनी, मुन्ना,अंशू,आरती आदि लोग मौजूद रहें।