देवल संवाददाता, गोरखपुर ।यूपी में गोवध अधिनियम लागू होने और सख्ती के बाद रामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, मेरठ में पशु तस्करी के धंधेबाजों ने अब अपना पूरा धंधा बिहार में शिफ्ट कर दिया है। वहीं, गोरखपुर, संतकबीरनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और बस्ती से भी गोवंश उठाकर पशु तस्कर बिहार में बेच रहे हैं। मोटी कमाई के चक्कर में गाड़ी मालिक, चालक और नई उम्र के युवा तस्करी के धंधे में उतर रहे हैं।
पुलिस सूत्रों की मानें तो एक गाड़ी में छह गोवंश पहुंचाने पर दो से ढाई लाख रुपये तक की कमाई होती है। इसका मोटा हिस्सा गाड़ी मालिक के को करीब एक लाख रुपये और पांच-पांच हजार रुपये चालक व चार-पांच गोवंश उठाने वाले कैरियर को मिलता है।
सिविल लाइंस में पशु तस्करों के तांडव के बाद पुलिस सक्रिय हुई तो हरपुर बुदहट क्षेत्र से शुक्रवार को 25 हजार का इनामी पशु तस्कर बिहार गोपालगंज के कुचायकोट का मुश्ताक मियां गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की पूछताछ में कई अहम बातें मुश्ताक ने ही बताई हैं।
वहीं, सोमवार को पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने रामपुर जिले के रहने वाले सैफ को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस पशु तस्करों को जड़ से खत्म करने की योजना पर काम कर रही है।
जांच के क्रम में पशु तस्करी में बिहार के चार गैंग के नाम सामने आए हैं। चारों गैंग पूर्वांचल के जिलों में कैरियर के माध्यम से पशुु तस्करी का धंधा चमका रहे हैं।
कैरियर को केवल बिहार बॉर्डर तक रिस्क उठाना होता है। जांच में सामने आया है कि बिहार बॉर्डर के पास सुनसान जगह पर एक खेत में जगह बनाई गई है, जहां पर गोवंश उतारे जाते हैं।
शनिवार और रविवार को देते हैं तस्करी को अंजाम
सूत्रों की मानें तो पशु तस्कर शनिवार और रविवार को ही अधिकतर घटनाओं को अंजाम देते हैं। ऐसा इसलिए है कि बिहार में सोमवार को पशुओं का बाजार लगता है। इसमें तस्करी करके पहुंचाए गए दुधारू और आवारा पशु तुरंत बिक जाते हैं। वहीं बाजार से ही आवारा पशुओं को बिहार के जिलों, असम और पश्चिम बंगाल तक भेजा जा रहा है।
कुशीनगर में 200 से अधिक पिकअप चिह्नित
सूत्रों की मानें तो मोटी कमाई के चक्कर में कुशीनगर में तस्करी का धंधा तेजी से पनप रहा है। यहां घर के सामने पिकअप नजर आने लगे हैं। यहां के लोग लोन पर पिकअप खरीदकर बिहार के तस्करों को चालक समेत सौंप देते हैं। कैरियर का इंतजाम तस्कर करते हैं।
जिसकी गाड़ी होती है, उसकी कमाई भी मोटी होती है। बताया जा रहा है कि प्रतिदिन पिकअप मालिक लाखों का वारा न्यारा पशु तस्करी के धंधे से कर रहे हैं।
संतकबीरनगर, अमरोहा, रामपुर समेत अन्य जिलों से भी पिकअप लेकर तस्करी का धंधा कराया जा रहा है। बिहार सीमा से सटे गांवों में 200 से अधिक पिकअप को भी चिह्नित किया गया है।
सैफ ने बताई चौंकाने वाली बात, बिहार से जुड़ रहे प्रदेश के तस्कर
बिहार से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पशु तस्करों का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है। जिले की पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने सोमवार को रामपुर जिले के रहने वाले सैफ को गिरफ्तार किया है, जो पिछले दो महीनों से पशु तस्करों के लिए रेकी कर रहा था। पूछताछ के दौरान सैफ ने बताया कि वह एक गाड़ी को रेकी करने और उसे बिहार तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए 2500 रुपये लेता है।
जब गाड़ी बिहार पहुंचती है, तो गाड़ी लेकर आने वाली टीम के मुखिया को एक लाख रुपये मिलते हैं। सूत्रों की मानें तो इस धंधे में यूपी के पश्चिम के जिलों के बड़ी संख्या में युवा बड़ी कमाई के चक्कर में बिहार के तस्करों से जुड़ रहे हैं। हाल फिलहाल की घटनाओं में पश्चिम के जिलों के कुछ युवकों के नाम भी सामने आए हैं।
पशु तस्करों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। इधर, कई तस्करों को पकड़ा भी गया है। अमरोहा, रामपुर समेत अन्य जिलों के तस्करों का भी नेटवर्क सामने आ रहा है: योगेंद्र कुमार सिंह, सीओ कैंट