देवल संवाददाता, अमिलो (आजमगढ़)। पंच ऋषियों का दर्शन करने चित्रकूट दिवसीय मानस प्रवचन के चौथे गए। मार्ग में पंचवटी पहुंचे, तो दिन बुधवार को हजारों की भीड़ वहां पर गोदावरी नदी के निकट उमड़ी। इस अवसर पर मानस रसराज कुटिया बनाकर रहने लगे उन्हों ने रामदास वेदांती ने कहा कि लोक बताया कि अगस्त ऋषि ने भगवान कल्याण के लिए भगवान श्री राम राम से कहा था कि आप पंचवटी जब वनं को चले, तो पहले वह में निवास करें। इसलिए भगवान राम वहां पर निवास करने लगे कि इसी दौरान वहां पर दुर्बुद्धि की प्रतीक सूपर्णखा आती है और भगवान राम से कुछ बातें करने लगती है। वहीं पर लक्ष्मण द्वारा अपमानित हो कर रावण के पास वापस लौटकर जाती है। वह अपने भाई रावण को भड़काती है कि सीता का हरण कर लाओ। रावण मारीच के साथ सीता का हरण करने के लिए चल देता है। रावण मारीच से कहता है श्हो वहु कपट मृग तुम छलकारी, जो हि विधि हरि आनंव नप नारीश्। मारीच सोने का हिरन बनकर सीता जी के सामने आता है और सीता जी की प्रेरणा से भगवान राम उसको' मारने के लिए चल देते हैं। इधर कुटिया सूनी पाकर रावण सीता का हरण कर लेता है। विमान में बैठाकर ले जाते समय जटायु की दृष्टि पड़ जाती है। रावण की जटायु से लड़ाई होती है। लेकिन जटायु के पंख करने पर वह गिर पड़ता है। रावण सीता जी को लेकर लंका चला जाता है। भगवान राम सीता जी खोज करते-करते गिद्धराज जटायु के पास पहुंच जाते हैं। जटाय भगवान को सारी बात बता देता है। भगवान राम जटायु को सद्गति देने के बाद शबरी के आश्रम में जाते हैं।